मुंबई महानगरपालिका (pic credit; social media)
Maharashtra News: बीएमसी के अस्पतालों में इलाज के लिए अब मुंबई से बाहर से आने वाले मरीजों से अधिक शुल्क वसूलने की तैयारी की जा रही है। इस प्रस्ताव को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत लागू करने की योजना है। हालांकि, इस पर राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है।
जानकारी के अनुसार, बीएमसी ने गोवंडी के शताब्दी अस्पताल और मानखुर्द के लल्लूभाई कंपाउंड अस्पताल में पीपीपी योजना लागू करने का फैसला किया है। इसके लिए निविदा भी जारी कर दी गई है। योजना का पूरा स्वरूप अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसके तहत मुंबई के बाहर और अन्य राज्यों से आने वाले मरीजों से अधिक शुल्क लिया जाएगा।
शिवसेना (यूबीटी) के विधायक अनिल परब ने कहा कि पीपीपी मॉडल के नाम पर बीएमसी अस्पतालों का निजीकरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने मांग की कि महात्मा फुले जन आरोग्य योजना और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को ठीक से लागू किया जाए, जिससे बीएमसी को करीब एक हजार करोड़ रुपये मिल सकते हैं। मनसे नेता संदीप देशपांडे ने भी योजना का विरोध करते हुए कहा कि यह सीधे तौर पर गरीब और बाहर से आने वाले मरीजों के साथ अन्याय होगा।
इसे भी पढ़ें- BMC का पलटवार; जरांगे के सारे आरोप झूठे, आजाद मैदान पर हर सुविधा मौजूद
विरोध करने वाले संगठनों का कहना है कि बीएमसी अस्पताल हमेशा से गरीब और जरूरतमंद मरीजों के लिए सहारा रहे हैं। यहां पर बाहरी मरीजों से अधिक शुल्क वसूलने की नीति सीधे स्वास्थ्य सेवाओं को महंगा बनाने की ओर कदम है। संगठनों ने चेतावनी दी है कि वे इस योजना को लागू नहीं होने देंगे।
संगठन और विपक्षी नेताओं का कहना है कि बीएमसी पर वित्तीय बोझ कम करने के लिए केंद्र सरकार को ठोस आर्थिक मदद देनी चाहिए। यदि योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन किया गया, तो बीएमसी को अलग से शुल्क वसूलने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।