
Congress workers unhappy (सोर्सः सोशल मीडिया)
Congress Workers Unhappy: बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से महज कुछ दिन पहले कांग्रेस द्वारा अकेले चुनाव लड़ने के फैसले में बदलाव किए जाने से स्थानीय पार्टी कार्यकर्ता स्तब्ध और असंतुष्ट हैं। पहले कांग्रेस ने 15 जनवरी को होने वाले चुनाव में सभी 227 वार्डों पर अकेले चुनाव लड़ने का दावा किया था, लेकिन रविवार को पार्टी ने प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) के साथ गठबंधन कर उसे 62 सीटें दे दीं।
नेताओं के अनुसार, कांग्रेस ने वीबीए के अलावा राष्ट्रीय समाज पार्टी (आरएसपी) को 10 सीटें और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई गुट) को दो सीटें दी हैं। इससे पार्टी की मुंबई इकाई के कई पदाधिकारी नाराज बताए जा रहे हैं। वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि मुंबई इकाई से जुड़े इतने महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा पहले कभी कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष द्वारा इस तरह नहीं की गई थी। हालांकि, मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि वह गठबंधन और सीटों के समझौते से संतुष्ट हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, महाराष्ट्र में कांग्रेस की राजनीति वर्षों से एक सीमित ढांचे में सिमटी रही है और गठबंधन राजनीति के चलते पार्टी अक्सर छोटी भूमिका में सिमट जाती है, जिससे उसकी निर्णय-क्षमता प्रभावित होती है। कांग्रेस की प्रदेश इकाई के एक पदाधिकारी ने दावा किया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार (राकांपा-शप) प्रमुख शरद पवार और शिवसेना (उबाठा) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के प्रभाव में आकर कांग्रेस धीरे-धीरे अपनी स्वतंत्र राजनीतिक आवाज खो बैठी है। यही राय कई पार्टी कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विश्लेषकों की भी बताई जा रही है।
सीट-समझौते से कांग्रेस की मुंबई इकाई के कार्यकर्ताओं को गहरा झटका लगा है, क्योंकि खबरों के अनुसार पार्टी ने मुंबई के छह लोकसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक में 10 से अधिक वार्ड अपने गठबंधन सहयोगियों को दे दिए हैं। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से कई वार्ड भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गढ़ माने जाते हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस ने बिना कड़े मुकाबले के ही ये क्षेत्र सहयोगी दलों को सौंप दिए। एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, “प्रभादेवी-माहीम क्षेत्र में वीबीए को वार्ड देना समझ से परे है। पहली बार निकाय चुनाव लड़ रही वीबीए को ऐसे क्षेत्रों में सीटें दी गई हैं, जहां दलित आबादी नगण्य है।”
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भाजपा के एक नेता ने विले पार्ले क्षेत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां की एकमात्र दलित बस्ती में भाजपा और आरपीआई के कार्यकर्ता रहते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि कांग्रेस के पास कई वार्डों में उम्मीदवार नहीं हैं और पार्टी ने अपनी साख बचाने के लिए गठबंधन का रास्ता चुना है।






