
महमूद प्राचा (सोर्स- सोशल मीडिया)
Mehmood Pracha: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 2017 के उन्नाव रेप केस में कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सज़ा को सस्पेंड करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले की काफी आलोचना हुई थी, और पीड़िता ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
चीफ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने सेंगर को नोटिस जारी कर हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली CBI की याचिका पर जवाब मांगा है। इस बीच पीड़िता के वकील महमूद प्राचा ने जांच एजेंसी पर सवाल उठाए हैं।
महमूद प्राचा ने कहा कि CBI अभी भी सहयोग नहीं कर रही है। मीडिया से बात करते हुए पीड़िता के वकील ने कहा, “हमें लगा था कि CBI हमसे बातें छिपाएगी और उन्होंने ऐसा ही किया। सीबीआई ने कल रात तक कॉपी नहीं दी। यह सिर्फ इसी मामले में नहीं, बल्कि हाथरस मामले में भी उनकी रणनीति रही है।”
#WATCH | Delhi: Mehmood Pracha, Advocate for Unnao rape case survivor, says,” … The CBI is still not cooperating. They lived up to our expectations that they would hide things from us… They withheld the copy till about last night… This has been a strategy not only in this… pic.twitter.com/B6e2qxHemk — ANI (@ANI) December 29, 2025
पीड़िता के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट के स्टे ऑर्डर पर खुशी जताई। पीड़िता ने कहा, “मैं कोर्ट के फैसले से बहुत खुश हूं। मुझे सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिला है, और मुझे पूरा भरोसा है कि मुझे आगे भी न्याय मिलता रहेगा। मैं यह लड़ाई जारी रखूंगी और यह पक्का करूंगी कि उसे मौत की सजा मिले, तभी सच्चा न्याय मिलेगा। मैं उन सभी लोगों की शुक्रगुजार हूं जो मेरे साथ खड़े रहे और मुझे न्याय दिलाने में मदद की। मेरे पिता की आत्मा को तभी शांति मिलेगी जब कुलदीप सिंह सेंगर को फांसी होगी।”
इस बीच कुलदीप सेंगर की छोटी बेटी इशिता सेंगर ने एक्स पर पोस्ट किया कि उनका परिवार पिछले आठ सालों से चुपचाप न्याय का इंतजार कर रहा है और उसने कानून और संस्थानों में अपना विश्वास बनाए रखा है। उसने लिखा कि उसकी पहचान सिर्फ एक भाजपा विधायक की बेटी तक सीमित हो गई है।
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इशिता ने कहा कि उसे सोशल मीडिया पर लगातार नफरत, गाली-गलौज और धमकियों का सामना करना पड़ा है। उसने कहा, “मेरा परिवार न तो कोई रियायत चाहता है और न ही सहानुभूति, बल्कि सिर्फ यह चाहता है कि कानून बिना किसी दबाव या डर के काम करे और सबूतों की निष्पक्ष जांच हो।”






