बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामला। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
मुंबई: भुतपुर्व काल में और वर्तमान काल में भी सार्वजनिक जगहो पर घटित होती आपराधीक घटनाओं के मद्देनजर व सुरक्षा के दृष्टीकोन से कोर्ट द्वारा गठित समिती ने कुछ सुझाव दिए है। खास कर स्कुलो और विद्यालयों में हुई दुष्कर्म जैसी घटनाओ को रोकने यह उपाय बताए गए है।
दरअसल महाराष्ट्र के बदलापुर में स्कूल में हुई यौन उत्पीड़न की घटना के बाद बंबई उच्च न्यायालय द्वारा गठित एक समिति ने सीसीटीवी और कर्मचारियों के चरित्र सत्यापन को अनिवार्य करने की सिफारिश की है।
बदलापुर के एक स्कूल में अनुबंध पर काम करने वाले एक कर्मचारी ने स्कूल परिसर में दो बच्चियों का यौन उत्पीड़न किया था। उच्च न्यायालय के दो पूर्व न्यायाधीशों की अध्यक्षता वाली समिति ने बुधवार को अदालत को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में राज्य के विद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में लागू किए जा सकने वाले कई सुझाव दिए हैं।
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समिति के इन सुझावों में स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य करना, कर्मचारियों का चरित्र सत्यापन, स्कूलों द्वारा सुरक्षित परिवहन की जिम्मेदारी लेना, बच्चों को “गुड टच” और “बैड टच” के बारे में जानकारी देना, साइबर अपराधों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और प्रमुख स्थानों पर ‘1098’ बच्चों की हेल्पलाइन प्रदर्शित करना शामिल है।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने बुधवार को राज्य सरकार से रिपोर्ट और उसकी सिफारिशों पर गौर करने को कहा। अदालत ने कहा कि हम भी रिपोर्ट देखेंगे। राज्य सरकार 2 सप्ताह में बताए कि वह सिफारिशों पर क्या कदम उठाएगी।
बता दें कि पिछले साल अगस्त में 5 वर्षीय दो बच्चियों से उनके स्कूल परिसर के शौचालय के अंदर एक पुरुष कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न किया था। आरोपी स्कूल में ‘अटेंडेंट’ का काम करता था। आरोपी को घटना के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन वह सितंबर में पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ के दौरान मारा गया था।