प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: जालना जिले के अंबड़ और घनसावंगी तालुका में प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को दी गई सहायता राशि में हेराफेरी के मामले सामने आए थे। इस मामले में सरकार एक्शन मोड में आ गई है। सरकार ने कहा कि दोषी पाए गए सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध आपराधिक कार्रवाई की जाएगी। वहीं अब तक 21 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।
यह घोषणा राहत एवं पुनर्वास राज्य मंत्री आशीष जायसवाल ने विधानसभा में एक उल्लेखनीय सुझाव के उत्तर में कही। सदस्य संतोष दानवे ने इस संबंध में एक उल्लेखनीय सुझाव प्रस्तुत किया। इस उल्लेखनीय सुझाव पर चर्चा में सदस्य बबनराव लोणीकर और नारायण कुचे ने भाग लिया।
राज्य मंत्री आशीष जायसवाल ने कहा कि किसानों को दी गई सहायता राशि में हेराफेरी एक गंभीर अपराध है। राज्य सरकार ने इस पर संज्ञान लिया है। इस मामले में शामिल दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी और हेराफेरी की राशि संबंधित व्यक्तियों के वेतन से वसूल की जाएगी। इस मामले में दोषियों को निलंबित करने और उनकी विभागीय जांच समय-सीमा में पूरी करने के निर्देश भी दिए जाएंगे।
जिला स्तरीय समिति ने मामले की जांच की है और दोषी पाए गए 21 तलाठी (Village accountant) और लिपिकों को निलंबित कर दिया गया है। 36 तलाठी और लिपिकों के विरुद्ध विभागीय जांच प्रस्तावित है। साथ ही, 45 ग्राम विकास अधिकारियों और 24 कृषि सहायकों को नोटिस जारी कर संबंधित नियुक्ति प्राधिकारी के माध्यम से उनकी जांच भी जारी है।
इस धोखाधड़ी के मामले में संबंधित तालुकाओं के तत्कालीन तहसीलदारों की ज़िम्मेदारी तय की जाएगी। राज्य मंत्री एडवोकेट जायसवाल ने बताया कि इस संबंध में ज़िला कलेक्टर से एक वस्तुनिष्ठ और विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।
राज्य मंत्री एडवोकेट जायसवाल ने कहा कि प्राकृतिक आपदा से प्रभावित एक भी पात्र किसान सहायता से वंचित नहीं रहेगा। किसानों को दी जाने वाली सहायता में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी न हो, इसका ध्यान रखा जाएगा। साथ ही, जालना ज़िले सहित अन्य ज़िलों में भी संबंधित संभागीय आयुक्तों के माध्यम से इस संबंध में जांच कराई जाएगी।
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महाराष्ट्र के कृषि राज्य मंत्री आशीष जायसवाल ने कहा कि सरकार सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में अनियमितताओं को रोकने के लिए प्रयासरत है। इसी क्रम में, सामान्य प्रशासन विभाग को ऐसी अनियमितताओं में लिप्त पाए जाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई हेतु एक नई विशिष्ट व्यवस्था तैयार करने के लिए सूचित किया जाएगा। इस व्यवस्था में दोषियों को केवल निलंबन ही नहीं, बल्कि दंड का भी प्रावधान होगा।