लाडली बहनों के पति और पिता का केवाईसी (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Ladki Bahin Yojana: विधानसभा चुनाव में महायुति सरकार को भारी समर्थन दिलाने वाली ‘लाडली बहन योजना’ को लेकर अब राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। योजना के तहत बढ़ते आर्थिक बोझ को देखते हुए बीते कुछ दिनों से फर्जी लाभार्थियों को चिन्हित करने के लिए युद्धस्तर पर अभियान शुरू किया गया है। चुनाव के दौरान वोटों की राजनीति के चलते इस योजना के पात्रता मानकों पर कड़ाई से अमल नहीं किया गया था।
लेकिन अब जब इस योजना से राज्य सरकार पर भारी वित्तीय बोझ आ गया है, तब सरकार ने एक के बाद एक सख्त निर्णय लेना शुरू कर दिया है। लाखों फर्जी लाभार्थियों को योजना से बाहर कर दिया गया है। अब सरकार ने योजना के अंतर्गत एक नया और महत्वपूर्ण नियम लागू किया है, जिससे लाभार्थी महिलाओं की संख्या और घटने की संभावना है।
अब से ‘लाडली बहन योजना’ की लाभार्थी महिलाओं के साथ-साथ उनके पति या पिता की ई-केवाईसी भी अनिवार्य कर दी गई है। इसके तहत अब राज्य सरकार यह भी जांचेगी कि महिला की शादी हुई है या नहीं – यदि शादी हो चुकी है, तो पति की आय की जांच की जाएगी। यदि शादी नहीं हुई है, तो पिता की आय की जांच की जाएगी। सरकार का कहना है कि यदि लाभार्थी महिला के परिवार की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से अधिक पाई गई, तो वह महिला योजना के लिए अपात्र मानी जाएगी।
पहले केवल महिलाओं की आय जांची जाती थी, जिसमें अधिकांश महिलाएं गृहिणी होने के कारण पात्र पाई गईं। अब सरकार ने पूरा पारिवारिक आय स्रोत शामिल कर लिया है, जिससे फर्जी लाभार्थियों की छंटनी की जा सके। यह कदम उठाने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ‘लाडली बहन योजना’ का लाभ सिर्फ उन्हीं महिलाओं को मिले, जो वास्तव में आर्थिक रूप से जरूरतमंद हैं और योजना की पात्रता शर्तों को पूरा करती हैं।
राज्य में इस समय आगामी स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव की तैयारी जोरों पर है। कई राजनीतिक दल इसके लिए रणनीति भी बना रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में अगर विधायक निधि उपलब्ध होती, तो नेताओं को मतदाताओं तक पहुंचने में आसानी होती। लेकिन ‘लाडली बहन‘ जैसी कुछ योजनाओं की वजह से राज्य सरकार के खजाने पर भारी आर्थिक दबाव पड़ गया है।
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सूत्रों के मुताबिक, राज्य विधानसभा और विधान परिषद के 361 विधायकों को पिछले 6 महीनों से उनके निधि का इंतजार करना पड़ रहा है। आचार संहिता लागू होने से पहले फंड जारी हो, इसके लिए सत्तापक्ष के साथ-साथ विपक्षी विधायक भी सरकार से लगातार आग्रह कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि ‘लाडली बहन योजना’ की वजह से भारी खर्च होने के कारण कई विधायकों का फंड रोका गया है, जिससे नाराज होकर कई विधायकों ने सरकार के सामने शिकायत दर्ज कराई है।