एक छोटी-सी डांट और दुनिया को कहा अलविदा। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
जलगांव: एक साधारण-सा दिन, एक सामान्य-सी डांट, और एक परिवार की पूरी दुनिया उजड़ गई। जलगांव के केडी-हुडको इलाके में रहने वाली 16 वर्षीय प्रज्ञा रवींद्र शिंदे ने केवल इसीलिए अपनी जान दे दी क्योंकि वह घर देर से लौटी और पिता ने उसे डांट दिया। घटना ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया है। यह सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, समाज के सामने खड़ा होता एक कड़वा सवाल है: क्या हमारे बच्चों के लिए हमारा व्यवहार इतना असहनीय हो गया है?
बुधवार, 18 जून की सुबह प्रज्ञा बिना कुछ बताए घर से बाहर चली गई थी। जब वह रात करीब 8 बजे लौटी, तो पिता ने देरी के लिए उससे सवाल किए और गुस्से में आकर उसे डांटा। कुछ देर बाद, बिना कुछ कहे वह फिर से घर से चली गई। अगले दिन, गुरुवार दोपहर 12 बजे पास के एक कुएं में उसका शव तैरता हुआ मिला। स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी। शनि पेठ पुलिस स्टेशन की टीम मौके पर पहुंची और शव को बाहर निकाला गया।
प्रज्ञा एक साधारण मजदूर के परिवार से थी। उसके पिता रवींद्र शिंदे मेहनत-मजदूरी करके परिवार चलाते हैं। परिवार में माता-पिता के अलावा दो बहनें और दो भाई हैं। जब प्रज्ञा का शव कुएं से बाहर निकाला गया, तो मां की चीखें पूरे मोहल्ले को सुना देने वाली थीं। पिता खुद को बार-बार कोसते रहे -“काश मैंने गले लगाया होता, काश बस थोड़ा प्यार दिखाया होता…”
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पुलिस ने इस घटना को अप्राकृतिक मृत्यु के रूप में दर्ज किया है। पोस्टमार्टम के बाद ही वास्तविक कारणों की पुष्टि होगी, लेकिन शुरुआती जांच के अनुसार आत्महत्या का कारण घरेलू तनाव बताया जा रहा है। निरीक्षक कविता कमलाकर के नेतृत्व में जांच जारी है।
यह कोई असामान्य घटना नहीं। आज के दौर में किशोरों पर स्कूल का तनाव, सामाजिक अपेक्षाएं और पारिवारिक माहौल का दबाव बेहद गहरा असर डालता है। कई बार माता-पिता की एक डांट या नाराज़गी, बच्चों के कोमल मन को तोड़ देती है। क्या हम अपने बच्चों को समझने के लिए थोड़ा और समय, थोड़ा और धैर्य, और थोड़ा और प्यार नहीं दे सकते?