प्रकाश आंबेडकर (फोटो: ANI)
मुंबई. ओबीसी आरक्षण बचाने के लिए रैली निकाल रहे वंचित बहुजन आघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने रविवार को कहा कि यदि मराठा समुदाय को आरक्षण चाहिए तो वे हमें सत्ता दें। तो वहीं उन्होंने यह भी कहा कि कुणबी मराठों के कारण ओबीसी आरक्षण खतरे में पड़ सकता है। इसलिए ओबीसी समाज विधानसभा चुनाव में कुणबी मराठों से सावधान रहें। कुणबी मराठा उम्मीदवारों को वोट न दें। उनके इस बयान के बाद जहां मराठा और ओबीसी के बीच तनाव और बढ़ने का खतरा बढ़ गया है वहीं राज्य की राजनीति भी गरमा गई।
मराठा समाज और उनके सगे-सोयरे (संबंधियों) को ओबीसी कोटे से पूर्ण आरक्षण की मांग को लेकर लगभग डेढ़ साल पहले शुरू किया गया आंदोलन अब खतरनाक मोड पर पहुंच गया है। मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटिल की जिद के कारण ओबीसी और मराठा समाज के बीच टकराव की स्थित बनने लगी है। उस पर प्रकाश आंबेडकर ने रविवार को कहा कि कुणबी मराठों से ओबीसी आरक्षण को 100 प्रतिशत खतरा है।
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ओबीसी आरक्षण बचाओ रैली के दौरान वाशिम के पोहरादेवी पहुंचे आंबेडकर ने जातिवार जनगणना की मांग करते हुए कहा कि ओबीसी आरक्षण 100 फीसदी खतरे में है और यह खतरा चुनाव खत्म होने के बाद पैदा होगा। ऐसा कहते हुए उन्होंने ओबीसी समाज से अपील की कि वे इस विधानसभा चुनाव में कुणबी मराठा उम्मीदवार को वोट न दें। क्योंकि कुणबी मराठा असली ओबीसी नहीं हैं, इसलिए उनसे सावधान रहें। वे भले खुद को ओबीसी कहते हैं लेकिन सदन में मराठों के साथ खड़े रहते हैं। वे धनगर, माली समुदाय, वंजारी, लिंगायत, बंजारा समुदाय के साथ नहीं हैं और तेली, तंबोली, लोहार, सुनार के साथ तो बिल्कुल भी नहीं हैं।
आंबेडकर ने याद दिलाया कि विधानसभा में 190 कुणबी मराठा विधायक हैं। यानी ओबीसी विधायक सिर्फ 11 हैं। यदि विधानसभा में प्रस्ताव के समय कुणबी समुदाय खड़ा हुआ तो वे ओबीसी के विरोध में वोट कर सकते हैं। इसलिए ओबीसी समाज को कुणबी के बजाय अन्य ओबीसी उम्मीदवारों को वोट देना चाहिए।
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आरक्षण की मांग कर रहे मराठा समाज से आंबेडकर ने कहा कि यदि आरक्षण चाहिए तो आप सत्ता हासिल करने में हमें मदद करें। उन्होंने कहा कि मराठों को ओबीसी से 10 फीसदी आरक्षण पहले ही दिया जा चुका है। मनोज जरांगे ने सरकार को अल्टीमेटम दिया। सरकार को इस संबंध में अपनी भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए। मनोज जरांगे पाटिल की मांग पहले ही मान ली गई है। अगर गरीब मराठा आरक्षण चाहते हैं तो उन्हें हमें सत्ता देनी होगी। उनका बरतन अलग रखा कैसे जाए, उन्हें आरक्षण कैसे दिया जाए? इसका एक फॉर्मूला हमारे पास है। लेकिन जब तक हमें सत्ता नहीं मिलेगी हम ये फॉर्मूला नहीं बताएंगे।