मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर उपजा विवाद बढ़ता जा रहा है। लेकिन अब यह थम सकता है। विपक्षी पार्टियां लगातार इसका विरोध कर रही हैं। वहीं चुनाव में भाजपा को समर्थन देने वाली राज ठाकरे की पार्टी मनसे भी इसका विरोध कर रही है। इस बीच सरकार को एक और बढ़ा झटका लगा, जिससे बाद राज्य सरकार यह फैसला वापस ले सकती है।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा नियुक्त सलाहकार समिति ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से प्राथमिक कक्षाओं में हिंदी पढ़ाने के फैसले को वापस लेने का आग्रह किया है। सरकार को मराठी भाषा के संबंध में अनुशंसा करने वाली भाषा सलाहकार समिति ने शुक्रवार को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें मांग की गई कि कक्षा पांच से पहले हिंदी समेत कोई तीसरी भाषा न पढ़ाई जाए।
पुणे में आयोजित एक बैठक के दौरान प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें समिति के 27 में से 20 सदस्यों ने भाग लिया। बैठक के दौरान मराठी भाषा विभाग के सचिव किरण कुलकर्णी भी मौजूद थे।
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एक संशोधित आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया है कि मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों को हिंदी सामान्य रूप से तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी।
आदेश के अनुसार, यदि किसी स्कूल में प्रति कक्षा 20 छात्र कोई अन्य भारतीय भाषा पढ़ना चाहते हैं, तो उस कक्षा में हिंदी नहीं पढ़ाई जा सकती। अगर ऐसी मांग उठती है तो या तो शिक्षक की नियुक्ति की जाएगी या फिर भाषा ऑनलाइन पढ़ाई जाएगी।
समिति के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत देशमुख ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यह पहली बार है जब सरकार समर्थित निकाय ने सरकार के फैसले के खिलाफ ऐसा रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि हम हिंदी या किसी दूसरी भाषा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसे शुरुआती स्कूली शिक्षा में लागू करना न तो शैक्षणिक रूप से सही है और न ही सांस्कृतिक रूप से उचित है।
लक्ष्मीकांत देशमुख ने कहा कि शुरुआती वर्षों में भाषा सीखने में मजबूत आधारभूत कौशल के लिए मातृभाषा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। देशमुख ने कहा कि समिति ने पहले भी हिंदी को प्राथमिक विद्यालय के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने के सरकार के फैसले के बाद चिंता जताई थी, लेकिन उनकी आपत्तियों को दरकिनार कर दिया गया था।
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सलाहकार समिति के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत देशमुख ने कहा कि सरकार ने भ्रामक व्याख्याएं पेश करके इसे दरकिनार करने का प्रयास किया। हम चाहते हैं कि इस मामले पर सरकार का प्रस्ताव पूरी तरह से रद्द किया जाए।
(एजेंसी इनपुट के साथ)