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गोंदिया. जिला मार्केटिंग फेडरेशन के धान खरीदी केंद्रों पर खरीफ मौसम में धान की बिक्री करने वाले 55 हजार किसानों के 328 करोड़ रु. के धान के चुकारे पिछले दो माह से बकाया है. जिससे किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं इससे संवरने के लिए किसानों पर साहुकारों के दरवाजे खड़े होने की नौबत आ गई है. जिले में खरीफ और रबी मौसम में जिला मार्केटिंग फेडरेशन और आदिवासी विकास महामंडल अंतर्गत धान खरीदी की जाती है. मार्केटिंग फेडरेशन ने इस बार 107 धान खरीदी केंद्रों पर 1 लाख 17 हजार 267 किसानों से 7 फरवरी तक 34 लाख 56 हजार 748 क्विंटल धान की खरीदी की है.
इस बिक्री किए धान की कुल कीमत 670 करोड़ 60 लाख 91 हजार रु. है. इसमें से अब तक 341 करोड़ 62 लाख 77 हजार 584 रु. के चुकारे किसानों के खाते में जमा किए गए है. वहीं 328 करोड़ 99 लाख रु. के चुकारे बकाया है. चुकारे के लिए शासन से निधि उपलब्ध नहीं होने से पिछले दो महीने से किसानों को मुश्किल हो रही है. धान की बिक्री कर किसान उधार लेकर कर्ज का भुगतान करते है. लेकिन चुकारे नहीं मिलने से उन्हें अपनी जरूरत पूर्ण करने लोगों सामने हाथ फैलाने की नौबत आ गई है. नैसर्गिक संकट से पूर्व ही किसान त्रस्त है. उन्हेंकृत्रिम संकटों का भी सामना करना पड़ रहा है.
जिला मार्केटिंग फेडरेशन ने खरीफ मौसम में 34 लाख 56 हजार 748 क्विंटल धान की खरीदी की है. इसमें से अब तक राईस मिलर्स ने 19 लाख क्विंटल धान को उठाया है. जबकि शेष 18 क्विंटल धान खरीदी केंद्रों पर वैसे ही खुले में पड़ा है. जिससे इस धान को बारिश मौसम से नुकसान होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.
जिला मार्केटिंग फेडरेशन अंतर्गत खरीदी किए गए धान की राईस मिलर्स के साथ अनुबंध पर मिलिंग के बाद चावल शासन को जमा किया जाता है. लेकिन शासन ने अब तक राईस मिलर्स की मांगों का निवारण नहीं किया है. जिससे उन्होंने धान उठाना रोक दिया है. जिससे अब तक केवल 0.55 प्रश. धान की मिलिंग हुई है. वहीं शेष धान खरीदी केंद्रों पर पड़ा है.
शासकीय धान खरीदी केंद्रों पर धान की बिक्री करने केलिए ऑनलाईन पंजीयन करने की शर्त शासन ने इस वर्ष से लागू की. 7 फरवरी तक शासकीय धान खरीदी केंद्रों पर धान की बिक्री करने के लिए जिले के 1 लाख 31 हजार 194 किसानों ने पंजीयन किया था. इसमें 1 लाख 17 हजार 267 किसानों ने धान की बिक्री की है लेकिन धान बिक्री करने की अवधि समाप्त होने से 16 हजार किसानों को निजी व्यापारियों को धान बिक्री करने की नौबत आ गई है.






