
बच्चू कड़ू के आंदोलन में पहुंचे अनिल देशमुख (सौजन्य-एक्स)
Jamtha Farmers Protest: किसानों की कर्जमुक्ति, उपज को समर्थन मूल्य, दिव्यांगों को 6,000 रुपये मासिक मानधन, बकरी पालकों व मच्छीमारों को न्याय दिलाने के लिए प्रहार जनशक्ति पार्टी के संस्थापक बच्चू कड़ू ने सिटी की सीमा पर महाएल्गार कर पूरी व्यवस्था में हड़कंप मचा दिया। कड़ू खुद ट्रैक्टर चलाकर आंदोलन में पहुंचे और उनके साथ 40-50 हजार किसानों, दिव्यांगजनों, प्रहार जनशक्ति पार्टी के कार्यकर्ताओं सहित अनेक किसान संगठनों के कार्यकर्ताओं ने धावा बोला।
इसके पूर्व दोपहर करीब 2 बजे से नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के मैदान में 2-3 हजार किसानों ने डेरा जमा रखा था। करीब 5 बजे कड़ू ने मोर्चा सहित धावा बोला और वे जामठा पुलिया के पास डेरा डालकर बैठ गए। किसान संगठनों के नेता विजय जावंधिया, वामनराव चटप, राजू शेट्टी, महादेव जानकर, डॉ. अजीत नवले, राजन क्षीरसागर, प्रकाश पोहरे, दीपक केदार, प्रशांत डिक्कर, विठ्ठलराजे पवार सहित अन्य संगठनों के नेता भी पहंचे।
रात करीब 9.30 बजे कड़ू सहित आंदोलनकारी परसोडी स्थित निर्धारित आंदोलन स्थल पर पहुंचे और वहीं डेरा डाल दिया, जबकि हजारों किसान सड़कों पर डेरा डाले बैठे रहे। देर रात वर्धा रोड का कुछ हिस्सा खाली करने के प्रयास को सफलता मिली और यातायात को सुचारु करने का प्रयास जारी था। जानकारी के अनुसार, कड़ू ने सीएम के पास चर्चा के लिए जाने से इनकार कर उन्हें ही अपने प्रतिनिधि भेजने की मांग की है।
हजारों की संख्या में आंदोलनकारियों ने सारी सड़कों पर डेरा जमाकर जाम कर दिया। वर्धा रोड तो पहले ही जाम था। आंदोलनकारियों ने आउटर रिंग रोड की पुलिया पर चढ़कर भंडारा व अमरावती की ओर जाने वाली सड़क पर भी चक्का जाम कर दिया जिससे वर्धा, पुणे, चंद्रपुर, हिंगनघाट आदि दिशा की ओर आने-जाने वाले वाहन फंस गए। सभी जुड़ी सड़कों में कई किलोमीटर तक वाहनों की कतारें लग गईं। यात्री बसें, कारें, ट्रकें ही नहीं दोपहिया वाहनों के निकलने तक की जगह नहीं मिली। यात्री और कारों में परिवार सहित फंसे नागरिक खाने व पीने के पानी के लिए तरस गए।
पुलिया पर आंदोलनकारियों ने अपने वाहन अड़ा कर आवागमन ठप कर दिया। बड़ी संख्या में किसान सड़कों व पुलिया पर सो गए। एक एंबुलेंस भी फंस गई। आंदोलनकारी लगभग 2 से 3 हजार वाहनों, ट्रैक्टरों में आए थे। सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए जगह-जगह पर सड़कों में चक्का जाम करने लगे। ‘आता मरायचं नाही आता लढायचा’ के नारे लगते रहे। अपने वाहनों से तो किसानों ने धावा बोला ही था, हजारों किसान व संगठन कार्यकर्ता अन्य शहरों से ट्रेन व बसों से भी महाएल्गार आंदोलन में शामिल होने आए थे।
कड़ू के नेतृत्व में लंबे समय तक ठीया देने के उद्देश्य से आंदोलनकारी अपने साथ खाने-पीने की पूरी रसद लेकर आए हैं। भोजन पकाने के लिए सिलेंडर भी लाया गया। ट्रैक्टरों में भरकर चिवड़ा आदि के पैकेट भी लाए गए, ताकि आंदोलनकारियों को भोजन की दिक्कत न हो। कड़ू इस मांग पर अड़े हुए हैं कि जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं तब तक ठीया डालकर बैठेंगे। उन्होंने तो 29 अक्टूबर की दोपहर 12 बजे तक अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि मांगें पूरी नहीं हुई तो पूरे राज्य में जाम किया जाएगा।
आंदोलन में केवल युवा ही नहीं बल्कि बुजुर्ग किसान भी हजारों की संख्या में आए हैं। इतना ही नहीं बड़ी संख्या में 60 प्लस उम्र की महिलाओं को आंदोलन में नारेबाजी करते हुए देखा गया। एक बुजुर्ग महिला ने कहा कि जब तक आंदोलन जारी रहेगा वे यहीं ठीया देकर बैठेंगी। उन्होंने तो भोजन नहीं मिलने पर उपवास तक रहने की बात भी कही। वह भी 182 किमी की यात्रा कर यहां पहुंचे मोर्चा में शुरू से ही शामिल रहीं। उनकी जैसी सैकड़ों बुजुर्ग किसान महिलाएं मोर्चा में आई हैं।
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आंदोलनकारी शहर में घुस न जाएं इसके लिए पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। रामगिरी व सीएम के निवास स्थान सहित रवि भवन, विधायक निवास आदि स्थलों पर पुलिस ने तगड़ा पुलिस बंदोबस्त लगा रखा है। इन परिसरों में आने वालों से पूछताछ के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है। शहर के ओवरब्रिजों पर भी पुलिस ने नजर रखी हुई है।
मुख्यमंत्री फडणवीस को मंगलवार को ही बच्चू कड़ू ने मैसेज भेजकर बैठक में अनुपस्थित रहने की सूचना दी थी जिसके चलते बैठक रद्द करनी पड़ी। चर्चा थी कि सीएम मंगलवार को ही रात आने वाले हैं और कड़ू से निर्णायक चर्चा हो सकती है लेकिन कड़ू ने सीएम के पास जाने में रुचि नहीं दिखाई और सरकार का प्रतिनिधि आंदोलन स्थल पर आएं, ऐसी अपेक्षा व्यक्त की।
राकां शरद पवार पार्टी ने कड़ू के आंदोलन को समर्थन दिया है जिसके चलते पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ आंदोलन स्थल पर पहुंचे और सरकार से मांगों को पूरा करने की मांग की।






