
मजदूरों का पलायन (सौजन्य-नवभारत)
Gadchiroli News: राज्य के आखिरी छोर पर बसा जहां सीएम फडणवीस पालक मंत्री है जहां आदिवासी बहुल, नक्सल प्रभावित, और अतिदुर्गम क्षेत्र में बसे गड़चिरोली जिले में अब तक रोजगार के अवसर शुरू नहीं हो पाये है। जिससे अधिकतर नागरिकों को बाहर राज्य और बाहर जिलों में जाकर रोजगार तलाशना पड़ता है। ऐसे में उद्योग विहीन और पिछड़े अहेरी उपविभाग में एकमात्र खेती ही रोजगार का साधन है।
ऐसे में रोजगार के अभाव के चलते अहेरी उपविभाग के मजदूर अब तेलंगाना राज्य में रोजगार के लिए स्थलांतरित होते दिखायी दे रहें है। दो जून की रोटी का जुगाड़ करने के लिए क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीण अपने पूरे परिवार के साथ तेलंगाना के विभिन्न शहरों में पहुंचकर रोजगार की तलाश में जुटे हुए नजर आ रहें है।
गड़चिरोली जिले का अधिकत्तर हिस्सा ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्र में बसा है। लेकिन जिले के दुर्गम क्षेत्र में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के कारण कोई भी उद्योग शुरू नहीं हो पाया है। जिससे जिले के नागरिकों को वनसंपदा से मिलनेवाले रोजगार पर पर निर्भर रहना पड़ता है। जिसके कारण जिले में बेरोजारों की संख्या काफी बढ़ गयी है।
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इस क्षेत्र के लोगों को रोजगार उपलब्ध करा देने की मांग पिछले अनेक वर्षों से जारी है। बावजूद इसके सरकार को प्रशासन की उदासीनता के चलते कोई उद्योग तहसील में शुरू नहीं हुआ है। इस उपविभाग के लोग जो मिले वह व्यवसाय कर अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहें है।
इस क्षेत्र के लोगों के लिए खेती ही एकमात्र रोजगार का साधन बनी हुई है। कृषि कार्य होने के बाद लोगों को अन्यत्र रोजगार के लिए जाना पड़ता है। तेंदूपत्ता संकलन के माध्यम से दो माह का गुजारा होता है। इसके बाद जीवनयापन करने के लिए रोजगार की आवश्यकता होती है।
सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार की गारंटी योजना के अंतर्गत काम उपलब्ध कराया जाता है। वर्तमान स्थिति में कुछ ही जगह पर काम शुरू है। वहीं अब खेतीकार्य भी खत्म होने से मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा है। इस कारण मजदूर रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जा रहें है।






