
कोयला खदान (सौजन्य-IANS)
KPCL Investigation: वणी, घुगूस और चंद्रपुर का कोल बेल्ट अब तूफान से पहले की खामोशी में है। वर्षों से पर्दे के पीछे चल रही कोयले की काली सल्तनत आज पहली बार खुली चुनौती के सामने खड़ी है। कर्नाटक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (केपीसीएल) और मध्यप्रदेश पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड (एमपीजनको) के अफसरों की सीधी एंट्री ने कोयला माफिया, वॉशरी संचालकों और सिस्टम के अंदर बैठे संरक्षकों की नींद उड़ा दी है।
मिली पुख्ता जानकारी के मुताबिक केपीसीएल के चीफ इंजीनियर (फ्यूल एंड माइनिंग) यथीराज अपनी टीम के साथ चंद्रपुर पहुंच चुके हैं। महामाया कोल वॉशरी, तडाली, बिमला और राजुरा की पांढरपौनी रेलवे सायडिंग में एक-एक ट्रक, एक-एक रैक और एक-एक टन कोयले का हिसाब लिया जाएगा। यह कोई रूटीन ऑडिट नहीं, बल्कि कोयला सप्लाई चेन का पोस्टमार्टम है। जिसमे कई चेहरे बेनकाब होने की आशंका जताई जा रही है।
सूत्रों का कहना है कि यह टीम महज 48 घंटे में अपनी रिपोर्ट सीधे एमडी को सौंपेगी। इसी खबर ने चंद्रपुर, वणी और घुगूस की कोल वॉशरियों में भगदड़ जैसा माहौल पैदा कर दिया है।फाइलें बदली जा रही हैं, फोन खामोश हैं और अंदरखाने ‘डैमेज कंट्रोल’ की कोशिशें तेज हो चुकी हैं। सवाल एक ही है, कौन बचेगा और कौन फंसेगा?
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार केपीसीएल, एमपीजनको और महाजनको से जुड़े कुछ अधिकारी पहले से ही सीबीआई की निगरानी सूची में हैं। इस बार जांच सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं है। फिजिकल वेरिफिकेशन, सैंपल टेस्टिंग, जीपीएस ट्रैकिंग और रेलवे रेकॉर्ड, सब कुछ क्रॉस-चेक होगा।
आरआईपीएल, भाटिया समूह और महामाया कोल वॉशरी, इन्फ्राडेव्हलपर्स और हिंद मिनरल जैसी वॉशरियों में खौफ का माहौल है। अंदरखाने चर्चा है कि हजारों करोड़ का खेल उजागर हो सकता है। सीबीआई रेड के दौरान सामने आए तथ्य पहले ही आग में घी डाल चुके हैं।
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राजुरा और पांढरपौनी रेलवे सायडिंग से एमपीजनको व महाजनको को भेजे जाने वाले कोयले में रॉ मटेरियल के नाम पर बैड मटेरियल की मिलावट की पुष्टि हुई थी। सूचना लीक होते ही कथित तौर पर बैड मटेरियल को रास्ते में ही रोककर भाटिया की वॉशरी में डंप कर दिया गया। यह किसी एक गलती का मामला नहीं, बल्कि पूरी सप्लाई चेन में रची गई साजिश की ओर इशारा करता है।
जांच टीम की मौजूदगी ने साफ कर दिया है कि यह मामला अब दबने वाला नहीं। अगर रिपोर्ट में आरोपों की पुष्टि होती है, तो सिर्फ कोल वॉशरी संचालक ही नहीं, बल्कि सिस्टम के अंदर बैठे बड़े अफसरों पर भी गाज गिरना तय है। वणी, घुगूस, चंद्रपुर की धरती पर खड़ा यह कोयले क घोटाला पूरे देश की कोयला नीति को हिला सकता है।






