सिरोंचा में बतकम्मा उत्सव की धूम (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gadchiroli District: तेलंगाना राज्य का पारंपरिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने वाला बतकम्मा उत्सव जिले के दक्षिण क्षेत्र में उत्साह के साथ मनाया जाता है। जिससे शारदीय नवरात्रि से सिरोंचा तहसील में बतकम्मा उत्सव की धूम शुरू हुई है। तेलंगाना राज्य के साथ ही तेलंगाना से सटे सिरोंचा तहसील में भी इस उत्सव का व्यापक आकर्षण है। इस दौरान रंग-बिरंगे फूलों से बतकम्मा तैयार की जाती है। वहीं महिलाएं सामूहिक रूप से एकजुट होकर नृत्य, गीत तथा परंपरागत रूप से उत्सव मनाते है। इस उत्सव को सैकड़ों वर्षों की पंरपरा है।
नवरात्रि को देवी की उपासना की जाती है। तेलंगाना में नवरात्रि के दौरान बतकम्मा उत्सव मनाया जाता है। बतकम्मा यानी ‘फूलों की देवी’ इस उत्सव में प्रमुखता से फूलों का उपयोग कर देवी की आरास तैयार की जाती है। महिलाएं परंपरागत वस्त्र परिधान कर सजाएं गए बतकम्मा की परिक्रमा कर गरबा नृत्य करते हुए गीतगायन करती है। इन गीतों से स्त्री शक्ति, प्रकृति, भक्ति तथा सामाजिक एकता का गौरव किया जाता है। सिरोंचा तहसील तेलंगाना राज्य से सटा हुआ है। जिससे इस तहसील में महाराष्ट्र के साथ ही तेलंगाना राज्य के संस्कृति का संगम देखने को मिलता है। जिसके चलते यहां बतकम्मा उत्सव का व्यापक महत्व है।
सहूला बतकम्मा उत्सव सिरोंचा तहसील में उत्साह में मनाया जा रहा है। तेलंगाना राज्य का परंपरागत तथा सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यह पर्व सिरोंचा में मनाया जा रहा है। यह उत्सव 9 दिनों तक चलने वाला है। प्रतिदिन शॉ के दौरान रंग-बिरंगे फूलों से तैयार की गई बतकम्मा एक जगह लाकर सभी महिलाएं बतकम्मा की परिक्रमा करते हुए तेलुगू भक्ति गीतों पर रास गरबा नृत्य करते है। यह प्रथा विगत अनेक वर्षों से सिरोंचा शहर में शुरू है।
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सडूला बतकम्मा के तौर पहचाने जाने वाले इस दिन सजाएं गए बतकम्मा का जलाशयों में विसर्जन किया जाता है। बतकम्मा उत्सव केवल धार्मिक उत्सव ही नहीं बल्कि महिला सक्षमीकरण, पर्यावरण के जतन तथा सांस्कृतिक परंपरा का उत्सव है। जिससे विभिन्न सामाजिक संस्था भी उत्सव में सहभाग ले रही है।