
चंद्रपुर ज़िले के किसान फिर से संकट में (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Chandrapur district: इस साल चंद्रपुर ज़िले में भारी बारिश हुई थी। दशहरा तक हुई बारिश ने ज़िले में धान, सोयाबीन और कपास की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया। किसान किसी तरह उस संकट से उबर गए। हालांकि, दिवाली से ठीक पहले शुक्रवार से ज़िले में बेमौसम बारिश ने फसलों को दोबारा भारी नुकसान पहुंचाया है। शुक्रवार को ज़िले के कुछ हिस्सों में भारी और कुछ में हल्की बारिश हुई, जिससे धान, कपास और सोयाबीन की फसलें संकट में हैं।
चंद्रपुर ज़िले में धान, कपास, सोयाबीन और कपास की फसलें बड़ी मात्रा में उगाई जाती हैं। इस समय सोयाबीन की फसल कटाई के अंतिम चरण में है। सोयाबीन की कटाई और गहाई का काम चल रहा है। भारी बारिश से किसी तरह बची सोयाबीन फसल दो बार संकट में आ गई है। बेमौसम बारिश के कारण बड़ी मेहनत से काटी गई सोयाबीन बर्बाद होने की कगार पर है। मुख्य फसल धान की कटाई का मौसम चल रहा है।
दिवाली के बाद कटाई ने ज़ोर पकड़ लिया है, लेकिन बेमौसम बारिश कटी हुई धान की फसलों को भी नुकसान पहुंचा रही है। इस बीच, बादलों के कारण किसानों के सामने यह सवाल है कि धान की फसल काटें या नहीं। इस समय भारी और मध्यम धान की कटाई ज़ोरों पर चल रही है। अगर कटी हुई धान पर बारिश हो गई, तो किसानों को डर है कि उनकी पूरी धान की फसल बर्बाद हो जाएगी। इसके साथ ही, कपास की फसल भी सही मौसम में आ गई है और उसमें अंकुर आने लगे हैं। कपास के डोडे निकलते समय बेमौसम बारिश से भारी नुकसान की आशंका है।
माढेली क्षेत्र में हुई बारिश ने एक बार फिर किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। खेतों में खड़ी कपास की फसल पानी में डूब गई है। पेड़ों की जड़ें सड़ने लगी हैं और डोडे भीगकर सड़ने लगे हैं। कुछ जगहों पर तो कपास का उत्पादन 50 प्रतिशत तक कम होने का डर है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक हल्की बारिश की चेतावनी दी है, जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें और भी गहरी हो गई हैं।
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नागभीड़ तहसील में दिन भर बादल छाए रहे और शाम साढ़े चार बजे के बीच अचानक तेज बारिश हुई, जिससे बलीराजा फिर से चिंतित है।तहसील में हर जगह धान की कटाई का मौसम चल रहा है। लगभग 60 प्रतिशत किसानों के पास हल्का धान है, कटाई का समय आ गया है। मजदूरी की समस्या से जूझ रहे किसानों ने इस साल हार्वेस्टर से धान की कटाई को प्राथमिकता दी है।
लगभग 30 प्रतिशत किसानों ने हार्वेस्टर से धान की कटाई की है। कुछ किसानों ने मजदूरों की मदद से धान की कटाई की है, जबकि काटे गए धान की पराली पूरे खेत में बिखरी हुई है, तभी अचानक बारिश होने पर किसानों को भारी नुकसान होने की संभावना है।






