
ताड़ोबा के चीतल नवेगांव-नागझिरा बाघ परियोजना के लिए स्थानांतरित
Navegaon Nagzira Tiger Reserve: ताड़ोबा-अंधारी बाघ परियोजना से चीतलों के स्थानांतरण अभियान की सफल शुरुआत हो गई है। पहल के पहले दिन 10 चीतलों को सुरक्षित रूप से नवेगांव-नागझिरा बाघ परियोजना में स्थानांतरित किया गया।चीतलों को ताड़ोबा में अफ्रीकी पद्धति की ‘बोमा’ संरचना में पकड़कर रखा गया था। यह बोमा संरचना कोलारा वनपरिक्षेत्र के जामणी के बड़े दलदल क्षेत्र में बनाई गई है। जामणी में चीतलों की अच्छी संख्या और अनुकूल भौगोलिक स्थितियों के कारण इसे बोमा निर्माण के लिए उपयुक्त स्थान माना गया। इस कार्य की तैयारी पिछले चार महीनों से जारी थी।
बोमा से चीतलों को विशेष रूप से डिज़ाइन की गई स्थानांतरण गाड़ियों में ले जाया गया। इन गाड़ियों में CCTV कैमरे, फॉगर तथा चोट से बचाव के लिए विशेष कुशनिंग की व्यवस्था की गई थी। नर और मादा चीतलों को अलग रखने के लिए भी गाड़ियों में विशेष डिजाइन किया गया है। इस कार्य के लिए ऐसी दो विशेष गाड़ियाँ खरीदी और तैयार की गईं। चीतलों को नवेगांव-नागझिरा टाइगर रिज़र्व के सॉफ़्ट-रिलीज़ बाड़ों में सुरक्षित पहुँचाया गया।
यह कार्य उपसंचालक (कोर) आनंद रेड्डी के नेतृत्व में सटीक नियोजन के कारण सफल हो सका। उन्हें ACF विवेक नातू का विशेष सहयोग मिला। इसके साथ ACF अनिरुद्ध धागे, RFO भाविक चिवंडे और RFO विशाल वैद्य ने भी अहम योगदान दिया। स्थानांतरण प्रक्रिया के लिए मध्य प्रदेश से RFO डॉ. बलवंत केसवाल, डिप्टी RO श्री चौधरी, डिप्टी RO उइके और डिप्टी RO भयास की प्रशिक्षक टीम को विशेष रूप से बुलाया गया था। वहीं नवेगांव-नागझिरा टाइगर रिज़र्व के RFO तेजस सूर्यवंशी की टीम ने स्थानांतरण और पायलटिंग के दौरान आवश्यक सहायता प्रदान की।
उपसंचालक आनंद रेड्डी ने कहा कि “सबसे बड़ी सफलता यह है कि पूरी प्रक्रिया के दौरान एक भी चीतल की मृत्यु नहीं हुई। ताड़ोबा-अंधारी और नवेगांव-नागझिरा टाइगर रिज़र्व के बीच उत्कृष्ट तालमेल के कारण यह अभियान सफलतापूर्वक पूरा किया जा सका।”
क्षेत्रीय उपसंचालक (ताड़ोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व) प्रभु नाथ शुक्ला ने कहा कि “इस पहल ने शाकाहारी वन्यजीवों के स्थानांतरण में ताड़ोबा के अनुभव को और समृद्ध किया है। इससे पहले बाघों को नवेगांव-नागझिरा, सिमलीपाल और सह्याद्री टाइगर रिज़र्व में सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया गया था। अब चीतलों का स्थानांतरण संरक्षण कार्य में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।”
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प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन्यजीव), महाराष्ट्र, एम. एस. रेड्डी ने कहा कि “संरक्षण की वर्तमान चुनौतियों और मानव-वन्यजीव संघर्ष की पृष्ठभूमि में ऐसे सक्रिय प्रबंधन उपाय अत्यंत आवश्यक हैं। महाराष्ट्र वन विभाग भविष्य में भी ऐसे प्रगतिशील उपक्रमों को जारी रखेगा।”






