ऐसे शुरु हुआ सुधीर मुनगंटीवार का राजनीतिक सफर (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Sudhir Mungantiwar: सुधीर मुनगंटीवार राज्य में भाजपा के शीर्ष और वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। पिछले 40 वर्षों से राज्य की राजनीति में सक्रिय मुनगंटीवार को पिछली बार चंद्रपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया था। सुधीर मुनगंटीवार ने 27 साल की उम्र में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था। आज 30 जुलाई को सुधीर मुनगंटीवार का जन्मदिन है। आइए जानते है उनके राजनीतिक करियर के बारे में…
सुधीर मुनगंटीवार राजनीति जगत में एक विद्वान व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं। अपने विचार व्यक्त करते समय, उनके आंकड़े और संदर्भ सटीक होते हैं। इसका कारण उनकी कई डिग्रियां हैं। मुनगंटीवार ने वाणिज्य में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई की और एलएलबी की। एमफिल करने के बाद, उन्होंने पत्रकारिता की भी पढ़ाई की। इसके साथ ही उन्होंने डीबीएम और पीआरआईपीएम जैसे पाठ्यक्रम भी पूरे किए।
सुधीर मुनगंटीवार का जन्म 30 जुलाई 1962 को हुआ था। उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत कॉलेज के छात्र के रूप में हुई। महज 17 साल की उम्र में 1979 में वे सरदार पटेल कॉलेज के छात्र संघ के सचिव चुने गए। वहीं, 1980 में वे इस संगठन के अध्यक्ष चुने गए। 1987 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष का पद दिया गया।
मुनगंटीवार को 1989 में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना गठबंधन ने उम्मीदवार बनाया। उन्होंने यह चुनाव पूर्व केंद्रीय मंत्री शांताराम पोटदुखे के खिलाफ लड़ा था। इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1991 में उन्हें फिर से जिम्मेदारी दी गई। हालांकि, इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद शांताराम पोटदुखे केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री बने।
1995 में मुनगंटीवार को विधानसभा की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। हालांकि, इस बार मुनगंटीवार ने ज़ोरदार वापसी की। उन्होंने चंद्रपुर के लोकप्रिय नेता, पूर्व राज्य मंत्री श्याम वानखेड़े को 55 हज़ार वोटों से हराया। मुनगंटीवार ने इस बार विदर्भ में सबसे ज़्यादा बहुमत से चुने जाने का रिकॉर्ड बनाया। इसके बाद, 1999 में वे चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र से दोबारा चुने गए। फिर 2004 में उन्होंने जीत की हैट्रिक बनाई।
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2009 में, जब चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुआ, तो मुनगंटीवार ने बल्लारपुर-मूल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और बड़े अंतर से चुने गए। वे इस निर्वाचन क्षेत्र से 2009, 2014 और 2019 में लगातार तीन बार चुने गए।
माजी मंत्री, विधिमंडळातील सहकारी, भाजपा आमदार श्री सुधीरभाऊ मुनगंटीवार यांना वाढदिवसाच्या हार्दिक शुभेच्छा! @SMungantiwar pic.twitter.com/KyFyQWl8jd
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) July 30, 2025
पहली बार चुने जाने के बाद, मुनगंटीवार को थोड़े समय के लिए ही सही, मंत्री पद दिया गया। 1 फरवरी, 1999 को उन्हें मुख्यमंत्री नारायण राणे के मंत्रिमंडल में पर्यटन एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री का दायित्व सौंपा गया। उन्होंने अगले विधानसभा चुनाव, यानी अक्टूबर 1999 तक यह दायित्व संभाला। इसके बाद, 2014 में वे वित्त, वन और योजना मंत्री बने। इसके बाद, 2022 में उन्होंने वन मंत्री और मत्स्य पालन एवं संस्कृति मंत्री के रूप में शपथ ली।
पहले बल्लारपुर तालुका न होने के कारण यहां के नागरिकों को किसी भी काम के लिए चंद्रपुर आना पड़ता था। चूंकि संचार के साधन बहुत सीमित थे और यहां के अधिकांश नागरिक ग्रामीण इलाकों में रहते थे, इसलिए उन्हें बहुत कष्ट सहना पड़ता था। 1995 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान मुनगंटीवार ने वादा किया था कि अगर वे चुनाव जीते, तो किसी भी हालत में सबसे पहले बल्लारपुर शहर को तालुका का दर्जा दिलाएंगे। चुनाव जीतते ही मुनगंटीवार ने अपने इस वादे को निभाया।
1981 में सुधीर मुनगंटीवार भाजपा के नगर सचिव नियुक्त हुए। 1987 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 1993 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा के महाराष्ट्र प्रदेश उपाध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया। 1996 में वे भारतीय जनता पार्टी के महाराष्ट्र प्रदेश महासचिव बने। 2001 में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चुने गए। 2010 में वे भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने।