चंद्रपुर महाऔष्णिक विद्युत केंद्र (फोटो नवभारत)
Chandrapur News in Hindi: महाऔष्णिक विद्युत केंद्र चंद्रपुर द्वारा प्रकल्प ग्रस्तों के रक्तसंबंधितों को नौकरी देने के नाम पर प्रशिक्षु बनाकर शोषण किया जा रहा है। नहीं ढंग की वेतन और नहीं कोई अन्य सुविधाएं ही दी जा रही है। मजबूरन इनमें से 86 प्रशिक्षुओं ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। प्रशिक्षुओं की तरफ से एड। शेखर जनबंधु ने 10 फरवरी 2025 को परियोजना पीड़ितों की उचित मांगों के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में याचिका दायर की।
चंद्रपुर महाऔष्णिक विद्युत केंद्र ने बिजली केंद्र शुरू करने से पहले 1980 में किसानों से सैकड़ों एकड़ जमीन संपादित किया था। बदले में किसानों को नोकरी और पैसे देने का समझौता हुआ था। अधिकांश को उसी समय नोकरी दी जा चुकी थी। जिनके घरों में तब व्यस्क नोकरी करने लायक नहीं थे, उनके परिवारों के सदस्यों को 2009-2010 तक नोकरी दी जाती रही है।
उसके बाद के प्रकल्प ग्रस्तों के रक्त संबंधितों को सिटीपीएस महानिर्मिति ने प्रशिक्षु कर के काम पर तो रखा, परन्तु स्थाई करने से कतराती रही है। वेतन देने की जगह मानधन दिया जा रहा है। मानधन भी मात्र 15000 ही दिए जा रहे है। 14 सालों से लगातार काम करने वालों भी प्रशिक्षु ही है।
चंद्रपुर महाऔष्णिक विद्युत केंद्र ने परियोजना पीड़ितों की जमीन का अधिग्रहण करने के बाद, उन्हें जिलाधिश के माध्यम से परियोजना पीड़ित प्रमाण पत्र दिए गए। इसमें स्पष्ट उल्लेख है कि परियोजना पीड़ितों को सरकारी नौकरियों में समाहित किया जाएगा, लेकिन वास्तविक स्थिति बिल्कुल विपरित है।
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राष्ट्रीय मानव अधिकार संसाधन विकास संगठन नागपुर के शेखर जनबंधु द्वारा आरटीआई से मांगी गई जानकारी से कई चौंकाने वाली तथ्य सामने आई। इसमें स्वयं महानिर्मिति मुख्यालय प्रकाशगढ़ मुंबई ने एक सर्कुलर जारी कर परियोजना पीड़ितों पर कई अवैध नियम और शर्तें लागू कर दी हैं।
इसमें परियोजना पीड़ित अपनी मांगों के लिए धरना या अनशन नहीं कर सकते, उन्हें कम वेतन पर प्रशिक्षु के रूप में काम करना होगा, कोई सरकारी सुविधाएं या अन्य रियायतें नहीं दी जाएंगी, परियोजना पीड़ित 45 वर्ष की आयु होने पर नौकरी छोड़ सकते हैं या नई नौकरी ले सकते हैं। स्टांप पेपर पर नौकरी नहीं चाहिए और सर्टिफिकेट रद्द करने की शर्त रखी गई है।