भद्रावती शहर की राजनीति में बड़ा बदलाव (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhadravati: भद्रावती शहर की राजनीति में इन दिनों बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। स्थानीय स्तर पर एक-एक कर पुराने और नए नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं। पूर्व नगर अध्यक्ष से लेकर नगरसेवकों तक का भाजपा में प्रवेश इस बात का संकेत देता है कि, आगामी नगर पालिका चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अपनी स्थिति को पहले से और मजबूत करने में जुट गई है।भद्रावती की राजनीति लंबे समय तक शिवसेना के प्रभाव में रही, वहीं कांग्रेस ने भी समय-समय पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।
लेकिन पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस का जनाधार लगातार कमजोर होता नजर आ रहा है। कई दिग्गज कार्यकर्ता पार्टी छोड़ भाजपा की ओर रुख कर चुके हैं। यही कारण है कि शहर की जनता के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि यदि यही स्थिति रही तो भाजपा का मुकाबला करने वाला कोई प्रतिद्वंद्वी शेष नहीं बचेगा। हालांकि शिवसेना अभी भी स्थानीय स्तर पर सक्रिय है और कुछ प्रमुख नगरसेवक पार्टी के साथ मजबूती से खड़े हैं।
शिवसेना अपने पुराने जनाधार और मराठी वोट बैंक के सहारे चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। दूसरी ओर कांग्रेस भी नए चेहरों और गठबंधन की संभावनाओं पर विचार कर रही है, ताकि भाजपा के बढ़ते दबदबे को संतुलित किया जा सके। शहर में राजनीतिक समीकरणों के बदलते हालातों ने आम नागरिकों की दिलचस्पी भी बढ़ा दी है। लोग यह जानने को उत्सुक हैं कि आखिर नगर पालिका चुनाव में किसका पलड़ा भारी रहेगा। भाजपा को फिलहाल सबसे बड़ी ताकत के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन यदि शिवसेना और कांग्रेस ने मजबूत रणनीति बनाकर मैदान में उतरने का निर्णय लिया तो चुनावी मुकाबला रोमांचक हो सकता है।
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राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा का संगठन मजबूत है और उसके पास शहर में नेतृत्व करने के लिए कई प्रभावशाली चेहरे मौजूद हैं। मगर स्थानीय स्तर पर असंतोष या गुटबाजी चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती है। दूसरी तरफ शिवसेना और कांग्रेस के पास अब भी मौका है कि वे अपनी पकड़ मजबूत कर जनता के बीच भरोसा कायम करें कुल मिलाकर, भद्रावती नगर पालिका चुनाव इस बार बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। जहां भाजपा अपनी बढ़ती ताकत के दम पर परचम लहराने को तैयार है, वहीं शिवसेना और कांग्रेस के सामने अपनी साख बचाने और मतदाताओं को जोड़ने की चुनौती खड़ी है।