उद्धव के स्पेशल 12
मुंबई: अक्टूबर 2025 में संभावित मुंबई महानगरपालिका (मनपा) सहित महाराष्ट्र के अन्य निकाय चुनाव का बिगुल कभी भी बज सकता है। इसके लिए बीजेपी सहित सभी राजनीतिक दल अपने स्तर पर तैयारी कर रहे हैं। लेकिन सभी की निगाहें मुंबई पर टिकी हैं। क्योंकि स्थानीय निकाय चुनावों में मुंबई मनपा का चुनाव सबसे अहम माना जाता है।
शिवसेना के लिए करो या मरो वाली लड़ाई
मुंबई मनपा देश की सबसे अमीर महानगर पालिका है। ऐसा भी माना जाता है कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर राज करनेवाली पार्टी को राज्य सहित देश की राजनीति में प्रभाव जमाने में अवसर मिलता है। पूरे देश की नजरें मुंबई मनपा चुनाव पर लगी हैं। लेकिन मुंबई पर अब तक राज करनेवाली पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की शिवसेना के लिए ये चुनाव करो या मरो वाली निर्णायक लड़ाई साबित हो सकते हैं। इसलिए उद्धव ने मुंबई मनपा चुनाव की तैयारियों के लिए अपने स्पेशल 12 सिपहसालारों की फौज को तैनात किया है।
मुंबई मनपा के तीन साल से प्रतिक्षित चुनाव खासकर उद्धव के लिए यह महाराष्ट्र की राजनीति में अस्तित्व बचाए रखने का यह आखिरी मौका साबित हो सकते हैं। क्योंकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में हुई बगावत तथा पार्टी का नाम व चुनाव चिन्ह छिनने के बाद उद्धव को उम्मीद थी कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव 2024 में उनकी पार्टी को वोटरों की सहानुभूति मिलेगी। लेकिन उद्धव की पार्टी शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा था।
हालांकि इन चुनावों राज्य के वोटरों ने उद्धव को निराश किया था। लेकिन मुंबई के वोटरों ने उद्धव को पूरी तरह से नहीं नकारा था। इसलिए खासकर मुंबई मनपा के चुनाव से उद्धव को ढेरों उम्मीदें हैं। लेकिन उद्धव ने इस बार किसी चमत्कार का इंतजार करने की बजाय अब मुंबई मनपा चुनाव में अलग रणनीति के साथ उतरने की योजना बनाई है।
उप नेताओं को अहम जिम्मेदारी
आगामी मुंबई मनपा चुनाव की पृष्ठभूमि में उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) पार्टी ने मुंबई में अपने उप नेताओं को विशेष जिम्मेदारी सौंपी है। उद्धव के निवास ‘मातोश्री’ में हुई बैठकों के बाद मुंबई महानगरपालिका की पृष्ठभूमि में यूबीटी में उप नेताओं को विधानसभा वार जिम्मेदारी बांटने का निर्णय लिया गया। उप नेताओं को निर्वाचन क्षेत्र में जाकर समीक्षा बैठकें करने, पूर्व नगरसेवकों, शाखा प्रमुखों और अन्य पदाधिकारियों से चर्चा करने और जल्द से जल्द रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।
उद्धव को शाखाओं का सहारा
स्थानीय निकाय चुनाव जमीनी स्तर पर लोगों से पार्टी के जुड़ाव की परीक्षा होते हैं । शाखाओं के माध्यम से लोगों से जुड़ी शिवसेना का मुंबई मनपा चुनावों में पिछली 25 वर्षों से दबदबा देखने को मिला है। फिलहाल शिवसेना टूट कर दो गुटों में बंट गई है। 2017 मनपा चुनाव में जीतने वाले शिवसेना के ज्यादातर नगरसेवक उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना में चले गए हैं। लेकिन मुंबई की शिवसेना शाखाएं उद्धव की यूबीटी के कब्जे में हैं और आम शिवसैनिक भी उद्धव की शिवसेना से जुड़े हुए हैं। ऐसे में उद्धव के उम्मीदवारों को लाभ मिलने की संभावना सियासी जानकारी लगा रहे हैं।
राज के बगैर आगे बढ़े उद्धव
विधानसभा चुनाव में यूबीटी और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद राज ने उद्धव से युति (दोस्ती) के संकेत दिए थे। जिस पर उद्धव ने भी पहली बार सकारात्मक प्रतिसाद दिया था। लेकिन बाद में राज अपने हाथ समेटते नजर आए। इसलिए उद्धव ने अब अकेले आगे बढ़ने के संकेत दिए हैं। उन्होंने अपने 12 उप नेताओं को मुंबई की समीक्षा करने, लोगों का मूड भांपने व योग्य उम्मीदवारों की तलाश करने की जिम्मेदारी सौंपी है।
विलास पोतनिस दिंडोशी, गोरेगांव, जोगेश्वरी-पूर्व
विश्वासराव नेरुरकर वर्सोवा, अंधेरी-पूर्व, अंधेरी-पश्चिम
रवींद्र मिर्लेकर विलेपार्ले, बांद्रा-पूर्व, बांद्रा-पश्चिम
गुरुनाथ खोत चांदिवली, कालीना, कुर्ला
नितिन नंदगांवकर विक्रोली, भांडुप, मुलुंड
सुबोध आचार्य घाटकोपर-पूर्व, घाटकोपर-पश्चिम, शिवाजीनगर-मानखुर्द
मनोज जामसुतकर अणुशक्ति नगर, चेंबूर, साइन कोलीवाड़ा
अरुण दुधवडकर धारावी, माहिम, वडाला
अशोक धात्रक वर्ली, दादर, शिवडी
सचिन अहीर मालाबार हिल, कोलाबा, मुंबा देवी