(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Bhandara News In Hindi: भंडारा जिले की साकोली तहसील के कई गाँवों में इस साल भी किसान वन्यजीवों के उत्पात से परेशान हैं। आलेवेदर, लवारी, उमरी, वांगी, पिटेझरी, आतेगांव, बोरगांव, उमरझरी, उसगाव, चांदोरी, झाड़गांव, खंडाला, बोंडे और सानगडी जैसे गाँव, जो चारों ओर से जंगलों से घिरे हैं, वहां हर खरीफ मौसम में किसानों की मेहनत बर्बाद हो रही है। जंगली सूअर और हिरणों के झुंड खेतों में घुसकर फसलों को रौंद रहे हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
फसलों का भारी नुकसान और सुरक्षा पर खतरा
नवेगांव बांध और नागझीरा अभयारण्य के आसपास के क्षेत्रों में किसान धान और अन्य खरीफ फसलों की बुवाई करते हैं। लेकिन जंगली जानवरों के कारण उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है। किसानों का कहना है कि इस बार जंगली सूअरों ने धान की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया है। कई जगहों पर तो फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है।
यह समस्या सिर्फ फसलों तक सीमित नहीं है। जंगली सूअर खेतों के अलावा घरों के आसपास भी आ जाते हैं, जिससे किसानों और उनके परिवारों की सुरक्षा पर भी खतरा मंडराता रहता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि खुले में घूमने वाले ये जानवर कभी भी हमला कर सकते हैं, जिससे डर का माहौल बना हुआ है।
वन विभाग द्वारा फसलों की क्षति का निरीक्षण तो किया जाता है, लेकिन किसानों को मिलने वाला मुआवजा उनके वास्तविक नुकसान की तुलना में बहुत कम होता है। इसी वजह से किसानों में प्रशासन के प्रति नाराजगी बढ़ रही है। वे कहते हैं कि वे साल भर मेहनत करते हैं, लेकिन जंगली जानवरों के उत्पात से उनकी सारी मेहनत बेकार हो जाती है।
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भंडारा किसान देवेंद्र लांजेवार ने बताया कि किसानों और वन्यजीवों के बीच यह संघर्ष लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने प्रशासन से सख्त कदम उठाने की मांग करते हुए कहा, “पंचनामा के बाद मिलने वाली सहायता अपर्याप्त है। यदि समय रहते वन्यजीवों पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो किसानों की स्थिति और खराब हो जाएगी।” उन्होंने मांग की कि वन विभाग को त्वरित कार्रवाई करते हुए प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा देना चाहिए और इन जानवरों का बंदोबस्त कर किसानों को राहत दिलानी चाहिए।
पूर्व जिला परिषद सदस्य परशुराम लांजेवार ने भी इस स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “अगर यही स्थिति बनी रही, तो धीरे-धीरे किसानों का खेती से विश्वास उठ जाएगा और खेती करना मुश्किल हो जाएगा।” उन्होंने कहा कि यह प्रशासन और वन विभाग की जिम्मेदारी है कि वे किसानों की सुरक्षा और उनकी फसलों को बचाने के लिए ठोस कदम उठाएं।