
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Bhandara Local Body Elections: भंडारा जिले की तुमसर, पवनी, भंडारा और साकोली चारों नगरपरिषदों के चुनाव के लिए बुधवार, 26 नवंबर को आधिकारिक चुनाव चिह्न वितरण की प्रक्रिया पूरी हो गई। इसी के साथ चुनावी मुकाबले की औपचारिक शुरुआत हो चुकी है।
चारों परिषदों में कुल 696 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 34 उम्मीदवार नगराध्यक्ष और 662 उम्मीदवार नगरसेवक पद के लिए ताल ठोक रहे हैं। सबसे बड़ी बात 622 उम्मीदवार निर्दलीय के रूप में उतरे हैं। इतनी भारी संख्या ने चुनाव में जबरदस्त उलटफेर और अतिरिक्त गर्मी भर दी है।आज चुनाव चिह्न वितरण के साथ ही चुनाव की तस्वीर साफ हो गई है।
| नगरपरिषद | नगराध्यक्ष | नगरसेवक | कुल उम्मीदवार |
|---|---|---|---|
| भंडारा | 11 | 237 | 248 |
| तुमसर | 07 | 196 | 203 |
| पवनी | 07 | 122 | 129 |
| साकोली | 09 | 107 | 116 |
| कुल | 34 | 662 | 696 |
भंडारा, पवनी और साकोली नगराध्यक्ष पद महिला आरक्षित होने से इन परिषदों में महिला नेतृत्व की बयार है। तुमसर में नगराध्यक्ष पद ओबीसी आरक्षित है। प्रमुख पार्टियों से लेकर निर्दलीयों तक हर कोई अपनी किस्मत आजमा रहा है। भंडारा में 8 प्रमुख दल + 3 निर्दलीय, साकोली में 6 दल + 3 निर्दलीय, तुमसर में 5 दल + 2 निर्दलीय, पवनी में 7 दल नगराध्यक्ष को लेकर मैदान में डटे हुए है। इस चुनाव में महायुति बनाम महाविकास आघाड़ी में नहीं बल्कि बहुकोणीय मुकाबला है, क्योंकि हर पार्टी अपने दम पर लड़ रही है।
भाजपा- कमल, एनसीपी (अजित पवार)- घड़ी, एनसीपी (शरद पवार)- तुतारी बजाता व्यक्ति, कांग्रेस- हाथ, शिवसेना (शिंदे)- तीर कमान, उबाठा शिवसेना- मशाल, आम आदमी पार्टी- झाड़ू, वंचित बहुजन आघाड़ी- गैस सिलेंडर, बसपा- हाथी और भाकपा- हसिया और धान की बाली तथा निर्दलीय- ट्रैक्टर, बॉल-बैट, सिलाई मशीन, कढ़ाई, कैमरा, टीवी सेट, टोकनी, नगाड़ा, कप-बशी इत्यादि दर्जनों प्रतीक लेकर मैदान में है।
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चारों परिषदों में मिले हुए 622 निर्दलीय उम्मीदवारों ने माहौल गर्म कर दिया है। सिर्फ भंडारा और तुमसर में ही निद्रलीयों की बाढ़ ने बड़े नेताओं और पार्टियों की नींद उड़ा दी है। चिह्न मिलने में देरी के कारण निर्दलीयों के पास अब सिर्फ चार दिन का चुनावी मैदान बचा है,और इसी वजह से उनकी भाग-दौड़ और भी तेज हो गई है।
हर पार्टी ने नगराध्यक्ष और नगरसेवक के लिए उम्मीदवार उतारे हैं। कई प्रभागों में त्रिकोणी और चौकोणी भिड़ंत बन रही है। सबसे दिलचस्प स्थिति बगावत ने बना दी है।कई जगह बागी-निर्दलीयों की चर्चा आधिकारिक उम्मीदवारों से भी ज्यादा है।
चिह्नवाटप होते ही चुनावी गर्मी चरम पर पहुंच गई है। सभाओं से लेकर विशाल रैलियों तक ध्वनि वाहन से लगातार प्रचार, घर-घर जाकर वोट मांगना, स्टार प्रचारकों की एंट्री, सोशल मीडिया की आक्रमक मुहिम चलने से रात-दिन का फर्क मिट चुका है। हर उम्मीदवार बस एक ही मंत्र में लगा है। अपने मतदाता तक पहुंचो, किसी भी तरह पहुंचो। केवल चार दिन का खेल है। चार दिन में किस्मत का फैसला आ जाएगा।
30 नवंबर को प्रचार थमेगा और 2 दिसंबर को मतदान होगा।सिर्फ चार दिन बचे हैं और उसी में तय होगा कि किसके हाथ सत्ता की चाबी जाएगी। नौ साल बाद हो रहे इन चुनावों ने पूरा जिले का राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। जनता में भी उत्साह चरम पर है और हर तरफ सिर्फ एक ही चर्चा है कि कौन जीतेगा? कौन हारेगा? और कौन उलटफेर करेगा?






