भंडारा. भूमिगत सीवरेज योजना के लिए भंडारा नप को 167 करोड़ स्वीकृत किए गए हैं.116 करोड़ के प्रथम चरण के कार्यों का शिलान्यास 12 नवम्बर को मुख्यमंत्री ने किया था. इस योजना के चलते शहर के नागरिकों को नालों का जाम होना, गंदगी, दुर्गंध, मच्छरों की समस्या से निजात मिलेगी.
परियोजना का निर्माण जहां हो रहा है वहां डामर और सीमेंट की सड़कें बीच-बीच में टूट रही हैं जिससे नागरिकों में नाराजगी है. इन क्षेत्रों में मिट्टी डालकर सड़कों को समतल किया जा रहा है. फिर भी नागरिकों को सड़कों पर चलते हुए उछलकूद करनी पड़ रही है. इस खुदाई के कारण हादसे भी हो रहे हैं. अंडरग्राउंड सीवरेज योजना के पहले चरण को सरकार ने 2020 में ही प्रशासनिक स्वीकृति दे दी थी. लेकिन कोविड के प्रकोप के फंड नहीं मिल पाया था.
परियोजना के 125 किमी पहले चरण का काम शुरू है. इससे शहर में नालों के निर्माण पर होने वाली फिजूलखर्ची पर रोक लगेगी. नालों के बंद होने, दुर्गंध फैलने और मच्छरों के प्रकोप से नागरिकों को स्थायी रूप से मुक्ति मिलेगी. नाले से सिर्फ बारिश का पानी बहेगा.
गटार योजना के कार्य पूर्ण होने की अवधि 2 वर्ष है. इसे 2025 तक पूर्ण किया जाना है.वर्ष 2052 तक यानी अगले 27 साल में 1,40,799 की आबादी के हिसाब से योजना तैयार की गई है. प्रति 1 लाख 4 हजार 979 जनसंख्या पर 13.3439 एमएलडी मल का निर्वहन किया जाएगा.
परियोजना का कार्य तीन क्षेत्रों अर्थात भूमिगत सीवेज नेटवर्क फैलाना, घरों को जोड़ना, टूटी सड़कों की मरम्मत और रखरखाव, वेटवेल, पंप हाउस, मुख्य पंपिंग, सीवरेज परियोजना में किया जाएगा. संताजी नगर, सागर झील और नागपुर हाईवे पर वेटवेल बनाए जा रहे हैं. जमनी दाभा स्थित घन कचरा प्रबंधन के स्थान पर 13.5 मिलियन प्रतिदिन की क्षमता वाला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है.
80.155 किमी क्षेत्र में भूमिगत सीवरों का एक नेटवर्क होगा. करीब 1,01,805 घरों को पाइप लाइन से जोड़ा जाएगा. प्रत्येक चेंबर का एक अलग कक्ष होगा और यह चार चेंबर के पीछे सामान्य कक्ष से जुड़ा होगा.