
ई-केवायसी बाधाओं से जूझ रहे ग्रामीण रोजगार सहायक (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara News: ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) जीवनदायिनी साबित हो रही है। इस योजना के माध्यम से हर वर्ष हजारों परिवारों को 100 दिन का रोजगार और नियमित आय प्राप्त होती है। हालांकि, वर्ष 2025 में शासन ने इस योजना में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब जॉब कार्ड धारकों के लिए ई-केवायसी (e-KYC) अनिवार्य कर दी गई है।
ई-केवायसी पूरी करने वाले मजदूरों को ही कार्यस्थल पर हाजिर रहने की अनुमति होगी, जबकि जिनका ई-केवायसी पूर्ण नहीं है, उनके जॉब कार्ड निष्क्रिय कर दिए जाएंगे और मजदूरी सीधे उनके बैंक खातों में जमा नहीं की जाएगी। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पायाभूत सुविधाओं का निर्माण, सार्वजनिक और निजी संपत्ति सृजन, सड़क निर्माण व मरम्मत, जलसंचयन तालाब, सिंचाई कुएं, फलों की बागवानी, वृक्षारोपण, पगडंडी मार्ग, घरकुल निर्माण और स्वच्छता जैसे विविध कार्य किए जाते हैं। इससे न केवल गांवों का विकास होता है, बल्कि मजदूरों को रोजगार की गारंटी भी मिलती है।
ई-केवायसी प्रक्रिया अनिवार्य होने से ग्रामीण मजदूरों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इंटरनेट सुविधा की कमी और नेटवर्क समस्या के कारण रोजगार सहायकों को रात में भी कार्य करना पड़ता है। साथ ही, बार-बार मोबाइल रिचार्ज और अन्य तकनीकी खर्चों के कारण उनकी आर्थिक स्थिति और अधिक दयनीय होती जा रही है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि ग्रामीण विकास और रोजगार गारंटी योजना को प्रभावी बनाने के लिए ग्राम रोजगार सहायकों का सम्मान और उनकी सेवाओं को मान्यता देना आवश्यक है। शासन से मांग की जा रही है कि उनके मानधन में वृद्धि कर उन्हें संतोषजनक और स्थायी आर्थिक सुरक्षा प्रदान की जाए।
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ग्राम रोजगार सहायक योजना की रीढ़ हैं। वे न केवल मनरेगा के अंतर्गत कार्यों का संचालन करते हैं, बल्कि ग्राम विकास सहित अन्य विभागों द्वारा सौंपी गई अतिरिक्त जिम्मेदारियां भी निष्ठापूर्वक निभाते हैं। इसके बावजूद उन्हें अल्प मानधन दिया जाता है, जिससे उनके परिवार की आजीविका कठिन हो रही है। स्थानीय स्तर पर यह भी आरोप है कि प्रशासन द्वारा उनका केवल उपयोग किया जा रहा है, जबकि उन्हें उचित सम्मान और वेतन मिलना चाहिए।






