
पहले दिन नामांकन का खाता भी नहीं खुला (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara News: भंडारा जिले की भंडारा, तुमसर, साकोली और पवनी नगर परिषदों के आम चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 10 से 17 नवंबर तक निर्धारित की गई है। हालांकि प्रक्रिया शुरू होते ही पहले दिन चारों नगर परिषदों में एक भी उम्मीदवार ने नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया। पहले ही दिन उम्मीदवारों ने स्पष्ट रूप से ‘वेट एंड वॉच’ (प्रतीक्षा और निरीक्षण) की नीति अपनाई है। संभावित उम्मीदवारों का मानना है कि टिकट की पक्की पुष्टि होने के बाद ही वे नामांकन दाखिल करेंगे। दूसरी ओर, निर्दलीय उम्मीदवारों की ओर से भी कोई विशेष पहल देखने को नहीं मिली।
नामांकन पत्रों की छानबीन और वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 26 नवंबर को उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह आवंटित किए जाएंगे। मतदान 2 दिसंबर को होना है। चिन्ह आवंटन के बाद उम्मीदवारों के पास प्रचार के लिए केवल छह दिन का समय रहेगा। मतदान से 24 घंटे पहले प्रचार बंद होने के कारण वास्तविक प्रचार अवधि मात्र पांच दिन की रह जाएगी।राजनीतिक दलों के लिए अपने चुनाव चिन्ह को मतदाताओं तक पहुंचाना अपेक्षाकृत आसान रहेगा, लेकिन स्वतंत्र उम्मीदवारों और गठबंधन (आघाड़ी) के माध्यम से चुनाव लड़ने वालों के लिए यह अवधि चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।
महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने 4 नवंबर को स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के चुनावों का कार्यक्रम घोषित किया, जिसके साथ ही आचार संहिता तुरंत लागू हो गई। पूरे चुनावी कार्यक्रम की अवधि मात्र 28 दिन है। मतदान 2 दिसंबर को और मतगणना 3 दिसंबर को होगी। पिछले चार वर्षों से स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव स्थगित होने के कारण इस बार उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को अचानक घोषित हुए इस कम अवधि वाले कार्यक्रम का सामना करना पड़ रहा है।
अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने नगराध्यक्ष या नगरसेवक पद के लिए अपने उम्मीदवारों की आधिकारिक घोषणा नहीं की है। इच्छुक उम्मीदवारों की संख्या अधिक होने के कारण दलों के सामने बगावत रोकने की चुनौती भी खड़ी हो गई है।
इसके अलावा, उम्मीदवारों का चुनाव चिन्ह मतदाताओं तक पहुंचाने की जिम्मेदारी बढ़ गई है। स्वबल पर चुनाव लड़ने वाले दलों के लिए प्रचार और चिन्ह प्रसार का समय पर्याप्त है, लेकिन स्वतंत्र उम्मीदवारों और गठबंधन के प्रत्याशियों के लिए यह प्रक्रिया काफी कठिन होगी।
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इस समय संभावित उम्मीदवार सोशल मीडिया का व्यापक उपयोग कर रहे हैं। फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से मतदाताओं तक पहुंचने के प्रयास तेज हो गए हैं। हालांकि यह भी स्पष्ट है कि सभी मतदाता सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करते, इसलिए प्रत्यक्ष जनसंपर्क अभी भी आवश्यक रहेगा।






