
भंडारा निकाय चुनाव (फाइल फोटो)
Bhandara municipal election: भंडारा नगरपालिका चुनाव की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है, लेकिन महायुति और महाविकास आपाड़ी दोनों ही खेमों में टिकट वितरण और सीटों के समन्वय का पेच अब तक सुलझता दिखाई नहीं दे रहा है, सोमवार, 10 नवंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू होने जा रही है, मगर दोनों गठबंधनों ने अब तक सीटों के बंटवारे पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है। इस अनिश्चितता के कारण इच्छुक उम्मीदवारों में बेचैनी और तनाव बढ़ गया है।
भंडारा नगरपालिका पर लंबे समय तक राष्ट्रवादी कांग्रेस का वर्चस्थ रहा। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा ने चढ़त बनाते हुए सुनील मेंढे को नगराध्यक्ष बनाया था। उस समय कांग्रेस, राष्ट्रवादी और भाजपा के बीच त्रिकोणी मुकाबला हुआ था। इस बार राजनीतिक परिस्थिति बदली हुई है। नए समीकरणों के कारण यह स्पष्ट नहीं है कि मुकाबला महाविकास आघाड़ी बनाम महायुति के रूप में होगा या फिर कई सीटों पर अलग-अलग दल स्वतंत्र रूप से उत्तरेंगे। राज्य की राजनीति के उतार-चढ़ाव का असर स्थानीय राजनीति पर भी दिख रहा है।
कांग्रेस, शरद पवार गुट को राष्ट्रवादी कांग्रेस और उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना मिलकर महाविकास आघाड़ी बनाई हैं। दूसरी ओर शिंदे गुट की शिवसेना, भाजपा और अजित पवार गुट की राष्ट्रवादी कांग्रेस महायुति के रूप में राज्य की सत्ता में बनी हैं। हालांकि भंडारा में दोनों गठबंधनों के बीच सीट बंटवारे और उम्मीदवारों को लेकर मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं।
नगराध्यक्ष पद इस बार अनारक्षित महिला श्रेणी के लिए आरक्षित है, जिससे महिल कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ा है। कई नए चेहरे भी दावा ठोकने की तैयारी में हैं हालांकि दोनों गठबंधनों ने अभी तक अपन्न आधिकारिक उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है, जिससे संभावित दावेदारों के बीच हलचल बढ़ गई है। कई कार्यकर्ता अपने नाम को आगे बढ़ाने के लिए नेतृत्व से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं।
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नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। लेकिन टिकटों की घोषणा न होने से इच्छुक नेताओं की चित बढ़ गई है। कई स्थानों पर स्थानीय कार्यकर्ताओं अनौपचारिक बैठके लेकर अपने नेताओं के नाम आ बढ़ाने की रणनीति बनाई है। बंद दरवाजों के भीत कई दावेदार साफ तौर पर कह रहे हैं कि पार्टी कन फैसला अंतिम समय में होगा, इसलिए कुछ भी निश्चित नहीं।
जैसे ही नगरपालिका चुनाव की अधिसूचना जार हुई, शहर का राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ गया चौक-चौराहों पर चर्चाएं तेज है और सोशल मीडिया पर संभावित उम्मीदवारों के पोस्टर व शुभकामन संदेशों की बाढ़ आ गई है, कार्यकर्ता भी चुनाव तैयारी में जुटने लगे है। वहीं आलोचना यह भी ही रह है कि सभी पार्टियां जन मुद्दों की जगह सिर्फ टिकट वितरण पर ज्यादा ध्यान दे रही है।
भंडारा नगरपालिका का यह चुनाव केवल स्थानीय स्तर का नहीं, बल्कि जिले की राजनीतिक प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है। अगले कुछ दिनों में महायुति औ महाविकास आघाडी के निर्णग स्पष्ट होंगे, तब त संभावित उम्मीदवारी के मन में यही सवाल गूंज रह है कि उन्हें पार्टी का टिकट मिलेगा या नहीं।






