
फर्जी दिव्यांग मामला: 2 ग्रामसेवकों पर कार्रवाई (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara Crime: भंडारा जिले में दिव्यांगता के फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच का मामला तूल पकड़ने के बाद पहली बार फर्जी दिव्यांग कर्मचारी पकड़े गए हैं। दिव्यांगता के फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे सरकारी नौकरी प्राप्त करने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई शुरू हो गई है। शासन ने सभी विभागों में ऐसे मामलों की जांच के आदेश दिए हैं, जिसमें जिला परिषद प्रशासन सबसे अधिक सक्रिय दिखाई दे रहा है। अब तक हुई जांच में दो ग्रामसेवकों के फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र सामने आए हैं, जिसके बाद दोनों पर कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है। दोनों को नोटिस जारी कर उनकी सेवा अवधि में प्राप्त वेतन की वसूली के आदेश दिए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, जिला परिषद प्रशासन के अधीन कुल 323 दिव्यांग अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें 169 शिक्षक, 113 शिक्षकेत्तर कर्मचारी और 41 ग्रामसेवक शामिल हैं, जिन्हें दिव्यांगता प्रमाणपत्र के आधार पर नियुक्त किया गया है। इन सभी के प्रमाणपत्रों की जांच के लिए प्रस्ताव जिला शल्य चिकित्सक के पास भेजा गया है। आदेशों के अनुसार, प्रत्येक कर्मचारी को स्वयं अपने प्रमाणपत्र की जांच कराकर रिपोर्ट संबंधित विभाग प्रमुख को सौंपनी थी।
अब तक 41 ग्रामसेवकों में से केवल 20 ने जांच कराई है, जिनमें से दो के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं। शेष ने अभी तक रिपोर्ट जमा नहीं की है। इस कारण प्रशासनिक तंत्र में खलबली मच गई है और कई कर्मचारी भय के माहौल में हैं। बताया जा रहा है कि जिला प्रशासन ने इस संबंध में सख्त रुख अपनाया है और दोषी पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी है।
राज्य दिव्यांग कल्याण आयुक्त तुकाराम मुंढे ने पदभार संभालते ही राज्यभर में फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच के आदेश जारी किए थे। उसी के तहत भंडारा जिले में भी यह अभियान चलाया जा रहा है। मुंढे के आदेश सभी विभागों के लिए अनिवार्य हैं, जिसके चलते अब राजस्व और पुलिस विभाग में भी दिव्यांग कर्मचारियों के प्रमाणपत्रों की जांच की जाएगी।इस अभियान का उद्देश्य उन फर्जी कर्मचारियों को चिन्हित करना है जिन्होंने झूठे प्रमाणपत्रों के बल पर न केवल नौकरी प्राप्त की, बल्कि पदोन्नतियाँ भी हासिल कीं। अधिकारियों का मानना है कि इस कार्रवाई से वास्तविक दिव्यांगों के अधिकारों की रक्षा होगी और उन्हें उनका उचित हक मिलेगा।
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भंडारा में यह मुद्दा पिछले तीन वर्षों से सामाजिक कार्यकर्ता विजय क्षीरसागर द्वारा लगातार उठाया जा रहा था। उन्होंने कई बार संबंधित मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायतें की थीं। अब जब दिव्यांग आयुक्त ने राज्यव्यापी जांच का आदेश दिया है, तो क्षीरसागर की मांग सही साबित हुई है। जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्रों के सहारे सरकारी तंत्र में जगह बनाने वाले कर्मचारियों की संख्या कम नहीं है। आगामी कुछ दिनों में और नाम उजागर होने की संभावना है। यह कार्रवाई प्रशासनिक पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।






