जर्जर स्कूल बिल्डिंग (फोटो नवभारत)
Bhandara Zila Parishad Schools News: शिक्षा के साथ छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना शासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है। लेकिन भंडारा जिले के ग्रामीण अंचल की जिल्हा परिषद (जिप) स्कूलों की इमारतें जर्जर होती जा रही हैं। जिले की कुल 794 जिप स्कूलों में से 201 स्कूलों की 351 कमरे अत्यंत खतरनाक स्थिति में हैं। यदि इनकी मरम्मत नहीं हुई तो छात्रों की जान पर गंभीर खतरा मंडराने की आशंका व्यक्त की जा रही है। जिले की 794 जिप स्कूलों और 495 अनुदानित स्कूलों की हर साल जांच की जाती है।
रिपोर्ट में छत टपकना, दीवारों में दरारें, प्लास्टर गिरना जैसी गंभीर खामियां सामने आई हैं। कई इमारतें इतनी पुरानी हो चुकी हैं कि कभी भी ढह सकती हैं। ऐसे में छात्र और शिक्षक जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं। मुख्याध्यापकों और ग्राम पंचायतों ने बार-बार मरम्मत के प्रस्ताव भेजे।
नागरिकों ने सुरक्षित इमारतों की मांग को लेकर आंदोलन भी किए। लेकिन शासन से फंड मंजूर न होने के कारण कामों में तेजी नहीं आ पाई। नतीजा यह कि छात्र अब भी खस्ताहाल इमारतों में पढ़ने को मजबूर हैं।
जिला परिषद शिक्षा विभाग ने स्कूलों की मरम्मत के लिए 77 करोड़ रुपये का प्रस्ताव मंत्रालय और जिला नियोजन विभाग को भेजा है, लेकिन अब तक मंजूरी नहीं मिली। इस वजह से कई काम ठप पड़े हैं और बच्चों का जीवन खतरे में है। 201 स्कूलों के 351 कमरें खतरनाक (यू-डायस 2024-25 रिपोर्ट) है। इनमें से 70 कक्षाओं के लिए 6.96 करोड़ रुपये मंजूर हुए। यह काम प्रगति पर है।
शेष कक्षाओं का काम 2025-26 में करने का आश्वासन दिया गया है। जिले की 41 स्कूल इमारतों को अति खतरनाक मानकर उन्हें निर्माण कार्य विभाग को गिराने (डिमॉलिशन)का प्रस्ताव भेजा गया है। मंजूरी न मिलने से ये जर्जर इमारतें अब भी स्कूल परिसर में खड़ी हैं। बरसात के दिनों में इन दीवारों के गिरने का खतरा और बढ़ जाता है। कई कक्षाएं लकड़ी के सहारे टिकाई गई हैं।
नए शैक्षिक सत्र को दो महीने गुजर चुके हैं, लेकिन कई स्कूलों की मरम्मत अधूरी है। कहीं बच्चों को टपकती छत के नीचे पढ़ना पड़ता है। समग्र शिक्षा अभियान से पर्याप्त फंड न मिलने के कारण पूरा बोझ जिला नियोजन पर पड़ रहा है।
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एक तरफ स्कूलों को ISO मानांकन और रचनावादी शिक्षा जैसी योजनाएं दी जा रही हैं, तो दूसरी तरफ छात्रों की सुरक्षा अधर में है। दीवारों की दरारें, छतों की गंदगी, टूटी खिड़कियां इसी माहौल में पढ़ाई जारी है। यह स्थिति छात्रों के शिक्षा अधिकार पर चोट तो है ही, साथ ही उनकी जान के लिए भी बड़ा खतरा है। यदि शासन ने तुरंत फंड मंजूर कर मरम्मत शुरू नहीं किया, तो कभी भी गंभीर दुर्घटना हो सकती है।
भंडारा शिक्षाधिकारी रवींद्र सोनटक्के ने कहा कि जिले में स्कूलों की मरम्मत और सुरक्षा का प्रश्न गंभीरता से लिया गया है। 70 कक्षाओं के लिए 6।96 करोड़ का फंड मंजूर हो चुका है और काम तेजी से जारी है। शेष कक्षाओं की मरम्मत वर्ष 2025-26 में होगी। 41 स्कूलों को गिराने का प्रस्ताव भी भेजा गया है। फिलहाल छात्रों को सुरक्षित कक्षाओं में ही बैठाया जा रहा है।