
महिला आरक्षण (फाइल फोटो)
Bhandara Political News Today: भंडारा नगर परिषद के 42 वर्षीय इतिहास में महिला नेतृत्व को हमेशा सीमित अवसर ही मिले हैं। रिकॉर्ड बताते हैं कि अब तक नगराध्यक्ष पद पर सिर्फ 5 महिलाओं को नेतृत्व का मौका मिला, जबकि 19 बार पुरुषों ने यह पद संभाला। वर्ष 2011 में वर्षा धुर्वे के कार्यकाल के बाद लगातार 14 वर्षों तक महिला नेतृत्व पूरी तरह गायब रहा।
लेकिन अब 2025 के चुनाव में नगराध्यक्ष पद अनारक्षित महिला प्रवर्ग के लिए आरक्षित किया गया है, जिससे राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। पहली बार किसी महिला नगराध्यक्ष को पूरे 5 वर्षों का स्थिर कार्यकाल मिलने जा रहा है। यह भी उल्लेखनीय है कि पूर्व में जब नप में महिला राज आया, तो 5 वर्ष में 4 महिलाएं इस पद पर विराजमान हुईं और इनमें भी कई का कार्यकाल उंगलियों पर गिनने लायक ही था।
नप में महिला नेतृत्व की शुरुआत वर्ष 1997 में हुई, परंतु यह नेतृत्व स्थिर नहीं रह सका। उस समय चार महिला अध्यक्षों का कार्यकाल इस प्रकार रहा। राजनीतिक दबाव और पुरुष-प्रधान व्यवस्था के कारण महिलाएं पूर्ण कार्यकाल पूरा नहीं कर सकीं। हालांकि स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में 50% महिला आरक्षण लागू होने के बाद स्थिति में धीरे-धीरे सकारात्मक परिवर्तन शुरू हुआ।
2011 के बाद 14 वर्ष तक महिला नेतृत्व का अभाव रहा। लेकिन 2025 में नगराध्यक्ष महिलाओं के लिए आरक्षित होते ही राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। इस चुनाव में जो भी महिला प्रत्याशी विजयी होगी, उसे पूरे 5 वर्ष का कार्यकाल मिलेगा।
महिला को पूर्ण नेतृत्व अधिकार और विकास योजनाओं को गति देने का मौका मिलने वाला है। इसके अलावा 35 नगरसेवकों में लगभग आधी सीटें महिलाओं की रहेंगी, जिससे परिषद का स्वरूप पहली बार संतुलित और महिला-केंद्रित होने जा रहा है।
रंजना मोगरे -4 महीने
सुशिला तांडेकर – 8 महीने
मंदा सार्वे – 2 वर्ष
इंदिरा महाकालकर – 1 वर्ष
वर्षा धुर्वे – 2011 में अध्यक्ष, 2 वर्ष कार्यकाल
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नगराध्यक्ष के लिए इस बार 11 महिला प्रत्याशी मैदान में हैं। यह दर्शाता है कि अब महिलाएं सिर्फ चुनाव लड़ने नहीं, बल्कि नेतृत्व की निर्णायक दौड़ में उतर चुकी हैं। यह चुनाव चार वर्षों से जारी प्रशासकीय राज का अंत करेगा। शहर को नया स्थिर नेतृत्व मिलेगा।
कहा जा रहा है कि 2025 का यह चुनाव भंडारा शहर के लिए सिर्फ एक नियमित नपा अध्यक्ष का चुनाव नहीं, बल्कि महिला नेतृत्व के स्वर्णयुग की शुरुआत माना जा रहा है। 14 साल बाद लौट रही महिला सत्ता शहर को नई सोच, नई दिशा और दीर्घकालीन विकास का अवसर दे सकती है।






