
भंडारा नगर परिषद (फोटो नवभारत)
Bhandara Municipal Council Elections: भंडारा जिले की चार नगर परिषदों के प्रभाग निहाय आरक्षण की घोषणा होने के बाद स्थानीय राजनीति में हलचल तेज हो गई है। आरक्षण घोषित होते ही संभावित उम्मीदवारों ने चुनावी तैयारी शुरू कर दी है। कई नेताओं ने अपने-अपने दलों के शीर्ष नेतृत्व से संपर्क साधना, कार्यकर्ताओं से चर्चा करना और जनसंपर्क अभियान तेज कर दिए हैं।
प्रभाग वार आरक्षण तय होते ही प्रत्येक प्रभाग में संभावित उम्मीदवार सक्रिय हो गए हैं।दीपावली के दौरान अनेक संभावित उम्मीदवारों को मतदाताओं तक पहुंचने का अच्छा मौका मिला। कई जगह पूर्व नगरसेवकों ने फिर से मैदान में उतरने के संकेत दिए हैं, जबकि नए चेहरे भी टिकट पाने के लिए मेहनत कर रहे हैं। इस कारण स्थानीय स्तर पर गुटबाजी और मान-मनौव्वल की राजनीति अधिक गर्म हो गई है।
भंडारा नगराध्यक्ष का पद इस बार अनारक्षित (महिला) श्रेणी के लिए आरक्षित किया गया है। इससे अब तक चुनावी दौड़ में शामिल रहे कई पुरुष नेताओं के समीकरण पूरी तरह बदल गए है। अब कई सक्रिय महिला नेता और कुछ नए चेहरे भी इस पद की संभावित दावेदार बनकर उभरे हैं।
माना जा रहा है कि शिंदे सेना और कांग्रेस के पास दमदार उम्मीदवार लगभग तय हैं।भाजपा को आयात उम्मीदवार पर दम लगाना होगा।
राज्य की महायुति (भाजपा-शिंदेसेना-अजित पवार गट) और महाविकास आघाडी (कांग्रेस-उद्धवसेना-शरद पवार गट) के बीच पहले लोकसभा और बाद में विधानसभा चुनावों में संयुक्त लढाई हुई थी। अब सवाल यह है कि क्या यह गठबंधन इस चुनाव में भी बरकरार रहेगा या टूटेगा।
यदि महायुति और आघाडी टिकती हैं, तो मुकाबला सीधे दो पैनलों के बीच होगा; लेकिन अगर गठबंधन टूटा, तो हर प्रभाग में चार से छह उम्मीदवार आमने-सामने हो सकते हैं, ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मत है।
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| नगर परिषद | प्रभाग संख्या | सदस्य संख्या |
|---|---|---|
| भंडारा | 17 | 35 |
| साकोली | 10 | 20 |
| पवनी | 10 | 20 |
| तुमसर | 12 | 25 |
कई स्थानों पर घटक दलों की ओर से अपने बलबूते चुनाव लड़ने की तैयारी के संकेत मिल रहे हैं। यदि ऐसा हुआ, तो निश्चित ही मतों का विभाजन होगा और नतीजों पर उसका बड़ा असर दिखाई देगा।






