भंडारा जिले में 149 अति-गंभीर कुपोषित बच्चे (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara District: भंडारा जिले में ‘राष्ट्रीय पोषण सप्ताह’ मनाया गया। इस अभियान का उद्देश्य पोषण, आहार और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाकर कुपोषण मुक्त और सुदृढ़ भारत का निर्माण करना है। आंगनवाड़ियों के माध्यम से गर्भवती, स्तनपान कराने वाली माताओं और 6 वर्ष तक के बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जाता है। इसके बावजूद जिले की कुपोषण की स्थिति चिंताजनक है। महिला एवं बाल कल्याण विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले के सात तहसीलों में 149 अति-गंभीर कुपोषित (SAM) और 1413 मध्यम कुपोषित (MAM) बच्चे पाए गए हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि प्रशासन के प्रयासों के बावजूद लक्ष्य हासिल करना कठिन हो रहा है।
जिले की आंगनवाड़ियों में 0 से 6 वर्ष तक के कुल 79,212 बच्चों का पंजीकरण है। इनमें से 1413 बच्चे मध्यम कुपोषित और 149 बच्चे अति-गंभीर कुपोषित श्रेणी में हैं। विभाग द्वारा नियमित रूप से पोषण सप्ताह, प्रोटीन पैकेट वितरण, घर-घर भेंट, परामर्श और चिकित्सा इलाज जैसी गतिविधियां की जाती हैं। फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में माता-पिता की व्यस्तता के कारण बच्चों के स्वास्थ्य की अनदेखी हो रही है। समस्या के समाधान में प्रशासन के साथ परिवारों की भागीदारी भी जरूरी है।
अति-गंभीर कुपोषित श्रेणी के बच्चों को स्वस्थ श्रेणी में लाने के लिए जिले में 54 ग्राम बाल विकास केंद्र (वीसीडीसी) शुरू किए गए हैं। इन केंद्रों पर बच्चों को 84 दिन तक एनर्जी डेंस न्यूट्रिशन फूड (EDNF) दिया जाता है। इसके बाद स्वास्थ्य की जांच कर प्रगति दर्ज की जाती है। इस आहार से बच्चों की शारीरिक स्थिति में सुधार होता है।
जिला परिषद के महिला एवं बाल कल्याण विभाग द्वारा ‘कुपोषण मुक्त भंडारा’ अभियान चलाया जा रहा है। आंगनवाड़ियों से ग्राम स्तर पर वीसीडीसी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। पोषण सप्ताह, स्वास्थ्य शिविर और आहार पर आधारित मेले आयोजित कर जनजागृति की जा रही है। परामर्श सत्रों में माताओं को संतुलित आहार, स्वच्छता और बाल संगोपन पर मार्गदर्शन दिया जाता है। स्थानीय स्तर पर उपलब्ध खाद्य पदार्थों से पूरक आहार बनाने के प्रयोग भी दिखाए जाते हैं। इसके अलावा वृक्षारोपण, पोषण बाग और प्लास्टिक विरोधी अभियान भी चलाए जा रहे हैं।
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जिले में शुरू किए गए 54 केंद्रों में 63 बच्चे इलाज ले रहे हैं। इसमें भंडारा – 10, मोहाडी – 7, तुमसर – 8, साकोली – 19, लाखनी – 1, पवनी – 7 और लाखांदुर – 11 बच्चे शामिल हैं। इन केंद्रों पर बच्चों को EDNF, नियमित स्वास्थ्य परीक्षण और आवश्यक होने पर दवाइयों की सुविधा दी जाती है।
महिला एवं बाल कल्याण विकास अधिकारी संजय जोल्हे ने कहा कि जिले में कुपोषण की दर धीरे-धीरे घट रही है। पहले की तुलना में स्थिति में सुधार हुआ है। प्रतिशत शून्य तक लाने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं। आंगनवाड़ी सेविकाएं, पर्यवेक्षिकाएं और आशा कार्यकर्ता गांव स्तर पर जागरूकता बढ़ाने का काम कर रही हैं। ग्राम बाल विकास केंद्र कुपोषण मुक्त भंडारा के लिए बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।