'आधी लगीन कोंडान्याच...' (सौजन्यः सोशल मीडिया)
छत्रपती संभाजीनगर: महाराष्ट्र में एक मुहावरा काफी प्रसिद्ध है, ‘आधी लगीन कोंडान्याच, नंतर रायबाच…’। जिसका मतलब है पहले देश सर्वतोपरि, बाद में सब कुछ, शादी भी। इस मुहावरे को साकार करता एक किस्सा छत्रपती संभाजीनगर से सामने आया है।
छत्रपती संभाजीनगर के मदनपुर प्रखंड के बंगरे गांव के जनेश्वर मेहता के पुत्र विजय कुमार BSF के जवान हैं। जवान की ड्यूटी राजस्थान के सतराना बॉर्डर पर लगी हुई है। बता दें कि यह पूरा इलाका पाकिस्तान से घिरा हुआ है। विजय कुमार एक महीने की छुट्टी लेकर अपने घर आया था। इसी बीच उसकी शादी भी फिक्स हो गई।
10 मई की दोपहर करीब 1 बजे दुल्हन पक्ष के लोग विजय का छेका यानी विवाह के पहले की रस्म करने बंगरे गांव पहुंचे। इसी बीच अचानक विजय को सेना से कॉल आ गया और उसे अविलंब ड्यूटी जॉइन करने का आदेश दिया गया। यह समय बहुत ही गंभीर और चिंताजनक था। जब विजय ने रिश्तेदारों के सामने ही इसकी जानकारी अपने परिवार वालों को दी, तो घर में सन्नाटा पसर गया।
BSF जवान विजय कुमार का पूरा परिवार भावुक हो गया। उसी दिन कुछ घंटों में ढाई बजे विजय कुमार को ट्रेन भी पकड़ना था। जल्दीबाजी में किसी तरह छेका की रस्में आधी-अधूरी पूरी की गईं। या यूं कहें कि छेका की रस्में होने के दौरान ही विजय वहां से उठा और अपनी ड्यूटी पर जाने के लिए तैयार हो गया।
साधे परिधान बदलकर जब विजय वर्दी पहनकर अपने कमरे से निकला तो पूरा परिवार मायूस था, लेकिन फिर भी माता-पिता के हौसले विजय को हिम्मत दे रहे थे। एक तरफ परिवार उदास था तो दूसरी तरफ बीएसएफ जवान विजय के ललाट पर उत्साह की चमक भी थी, क्योंकि वह पिछले वर्ष ही सेना में शामिल हुआ है। वह दुश्मनों से लोहा लेने को तैयार था। जिस जगह पर विजय की ड्यूटी लगी है, वह जगह दुश्मनों की रडार पर रहती है। हमेशा युद्ध की स्थिति बनी रहती है।
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जवान हमेशा तैयार भी रहते हैं। जब विजय अपने घर से निकला तो पूरा गांव उसके पीछे चल पड़ा। सभी लोगों में मायूसी छाई हुई थी। देखते ही देखते पूरे गांव के लोगों की भीड़ जुट गई। यानी विजय को पूरे गांव के लोगों ने सम्मान के साथ विदाई जिसके बाद विजय ट्रेन पकड़कर अपने ड्यूटी स्थल पर पहुंच गया और देश की सेवा में लग गया। बातचीत के दौरान विजय ने बताया कि युद्ध की स्थिति अब सामान्य हो गई है, लेकिन आतंकवादियों का कोई ठिकाना नहीं होता।
वे कभी भी हमले कर सकते हैं। इसीलिए सभी जवान दुश्मनों को छक्के छुड़ाने को तैयार हैं। विजय की विदाई के दौरान उसके पिता जनेश्वर मेहता, भाई संजय मेहता, अजय मेहता, रफीगंज विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी संतोष कुशवाहा, पूर्व मुखिया प्रतिनिधि कौशल किशोर मेहता सहित अन्य लोग मौजूद थे और उन्होंने उसे विदाई दी।