गणेशोत्सव (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Ganeshotsav Amravati News: सार्वजनिक गणेशोत्सव नजदीक है, ऐसे में प्रशासन ने तैयारियां तेज कर दी हैं। ज़िले में कुल 1,900 सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल हैं, जिनमें से 384 स्थानों पर ‘एक गांव, एक गणपति’ की अवधारणा को क्रियान्वित किया जा रहा है। पिछले वर्ष 2024 में शहर पुलिस उपायुक्त कार्यालय के दस पुलिस थानों की सीमा में 582 सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल थे।
यह चुनावी वर्ष है, इसलिए यह संख्या बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। शहर के निकट ग्राम पंचायतों के 37 गांवों में ‘एक गांव, एक गणपति’ की अवधारणा लागू की गई। ग्रामीण पुलिस बल के अधिकार क्षेत्र में 14 तहसील के 31 पुलिस थानों में 1,318 सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल पंजीकृत थे।
इनमें से 347 गांवों ने ‘एक गांव, एक गणपति’ को लागू कर सामाजिक एकता का संदेश दिया। इस वर्ष सार्वजनिक गणेशोत्सव 27 अगस्त से 6 सितंबर तक मनाया जाएगा। इस दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखना पुलिस बल के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में थानावार और उप-विभागवार मंडलों के पदाधिकारियों के साथ बैठकें शुरू हुई हैं।
शहर में निजी और सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों के लिए गणेश प्रतिमाएं स्थापित करने हेतु सरकारी अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। यह शर्त सोसाइटियों और अपार्टमेंट में आयोजित होने वाले गणेशोत्सवों पर भी लागू है। नगर निगम, धर्मादाय आयुक्त, विद्युत वितरण कंपनी, यातायात पुलिस जैसे विभागों से आवश्यक अनुमति प्राप्त किए बिना मंडलों को अनुमति नहीं दी जाएगी। गणेशोत्सव मंडलों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण और अनुमति प्रक्रिया सोमवार (18) से शुरू हो गई है। पुलिस विभाग ने स्पष्ट किया है कि अपूर्ण या आंशिक आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
पुलिस के गोपनीय विभाग द्वारा संवेदनशील क्षेत्रों की सूची तैयार की गई है। असामाजिक तत्वों द्वारा उपद्रव रोकने के लिए निवारक कार्रवाई जारी है। सार्वजनिक गणेशोत्सव के दौरान सुरक्षा के लिए लगभग 80 प्रतिशत पुलिस बंदोबस्त तैनात किया जाएगा।
पिछले कुछ वर्षों में एक गांव, एक गणपति की अवधारणा ग्रामीण क्षेत्रों में तेज़ी से जड़ें जमा रही है। इस पहल में गांव में वैमनस्य और राजनीतिक मतभेदों को दूर करने और समाज के सभी वर्गों को एक छत के नीचे लाने की शक्ति है। 2024 में, जिले के 347 गांवों ने इस प्रयोग को सफलतापूर्वक लागू किया। इससे अनावश्यक प्रतिस्पर्धा, धन के दुरुपयोग और ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण हुआ और समाज में एकता का संदेश भी पहुंचा। उम्मीद है कि इस साल यह अवधारणा और ज्यादा गांवों तक फैलेगी।
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अमरावती शहर और जिले में सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों की संख्या ज्यादा होने के कारण, कानून-व्यवस्था बनाए रखना पुलिस के लिए हमेशा एक चुनौतीपूर्ण काम होता है। चुनावी साल होने के कारण, राजनीतिक समूहों के सक्रिय होने की संभावना है, और पुलिस प्रशासन ने त्योहार पर इसका असर न पड़े, इसके लिए विशेष योजनाएं बनाई हैं।
जिले में गणेशोत्सव को लेकर भले ही उत्साह ज्यादा हो, लेकिन ‘एक गांव-एक गणपति’ की अवधारणा सामाजिक सद्भाव और अनुशासन का अद्भुत संगम है। पुलिस प्रशासन की 80 प्रतिशत पुलिस बल के साथ मुस्तैदी और अनुमति प्रक्रिया में सख्ती इस बात का संकेत है कि त्योहार शांतिपूर्वक और सुरक्षित रूप से संपन्न हो।