बिजली कर्मचारियों से बदसलूकी की तो सीधे जेल रवानगी (सौजन्यः सोशल मीडिया)
अमरावती: अब बिजली बिल की वसूली रोकने के लिए मारपीट या गाली-गलौज करने पर सीधे जेल जाना पड़ सकता है। अमरावती में बिजली विभाग की टीमों पर हुए हमलों ने हड़कंप मचा दिया है। विभाग ने साफ चेतावनी दी है कि सरकारी कार्य में बाधा डालने और कर्मचारियों से मारपीट करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी।
बिजली विभाग की टीम जब बकाया वसूली या चोरी पकड़ने के लिए जाती है, तो अक्सर लोग विरोध करते हैं। लेकिन अमरावती में यह विरोध हिंसा में बदल गया। दो अलग-अलग घटनाओं में उपभोक्ताओं ने सरकारी कर्मचारियों को गालियां दीं, धक्का-मुक्की की और काम से रोक दिया। अब पुलिस ने इन पर मुकदमा दर्ज किया है।
बिजली विभाग की टीम चोरी की जांच के लिए पहुंची। मीटर में गड़बड़ी पकड़े जाने पर घर के लोगों ने अभियंता सुरेंद्र बागड़े और उनकी टीम को अपशब्द कहे और धक्का देकर बाहर निकाल दिया।
दूसरी घटना – एसटी कॉलोनी
यहां उपभोक्ता और उसके बेटे ने बिल सर्वेक्षण के लिए आई टीम को गाली दी और धमकाया। दोनों ने कर्मचारियों के साथ हाथापाई की धमकी भी दी। इन दोनों मामलों में गाडगे नगर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई है।
बिजली विभाग ने स्पष्ट किया है की, कर्मचारी सरकारी कार्य कर रहे होते हैं, उन पर हमला करना गंभीर अपराध है। भारतीय दंड संहिता की कड़ी धाराओं में मुकदमा चलेगा। दोष साबित होने पर जेल की सजा भी हो सकती है। कर्मचारियों की सुरक्षा सर्वोपरि मानी जाएगी। विभाग का कहना है कि ऐसी घटनाओं से सरकारी व्यवस्था पर सीधा हमला होता है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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बिजली विभाग ने कहा कि हम साफ करना चाहते हैं कि कर्मचारियों को धमकाना, गाली देना या हाथ उठाना अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उपभोक्ताओं को कानून का पालन करना होगा और कर्मचारियों को काम करने देना होगा। विभाग ने बताया कि कर्मचारियों को सुरक्षा देने के लिए प्रशासन के साथ मिलकर कदम उठाए जाएंगे। हर घटना पर तुरंत पुलिस में शिकायत की जाएगी और कानूनी कार्रवाई होगी।
बिल समय पर चुकाएं। चोरी जैसी गैरकानूनी गतिविधियों से बचें। अगर कोई विवाद हो तो उपभोक्ता सेवा केंद्र से समाधान लें। कर्मचारियों के साथ सहयोग करें। उनकी सुरक्षा भी आपकी जिम्मेदारी है। अमरावती की घटनाओं ने यह साबित कर दिया है कि बिजली विभाग की वसूली और जांच टीमें अब बेखौफ नहीं रहेंगी। हमलों और धमकियों के मामलों को सरकार और पुलिस गंभीरता से लेंगी। उपभोक्ताओं को भी यह समझना होगा कि कानून को हाथ में लेना उन्हें सीधे सलाखों के पीछे पहुंचा सकता है।