भंडारा में शालार्थ आईडी घोटाले का पर्दाफाश (सौजन्यः सोशल मीडिया)
भंडारा: सरकारी तंत्र की आंखों में धूल झोंककर फर्जी शिक्षकों की फौज खड़ी कर करोड़ों का वेतन डकारने का शर्मनाक खेल नागपुर से शुरु हुआ। भंडारा जिले में शिक्षा विभाग के शालार्थ पोर्टल में गड़बड़-घोटाला इतना गहरा निकला कि पुलिस के भी होश उड़ गए। 2 आरोपी सलाखों के पीछे हैं, लेकिन इस पूरे खेल का असली खिलाड़ी अब भी आज़ाद घूम रहा है और यही पुलिस की सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।
महाराष्ट्र सरकार का शालार्थ पोर्टल शिक्षक नियुक्ति और वेतन भुगतान के लिए बनाया गया एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है। आरोप है कि इसी सिस्टम में फर्जी आईडी बनाकर नकली शिक्षकों की नियुक्ति दिखाई गई। सरकारी रिकॉर्ड में ये “शिक्षक” बाकायदा तैनात थे और हर महीने लाखों का वेतन उठा रहे थे! जांच में पता चला कि यह कोई एक-दो लोगों का काम नहीं था, बल्कि एक पूरा रैकेट इस साजिश में शामिल था।
पुलिस ने मामले में 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है एक स्कूल का सचिव और एक फर्जी शिक्षक इन दोनों को अदालत में पेश कर 4 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है। हिरासत में पूछताछ के दौरान पुलिस उनसे बाकी नेटवर्क का भेद उगलवाने की कोशिश कर रही है। शुरुआती पूछताछ में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं।
घोटाले का सबसे बड़ा खिलाड़ी अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है। पुलिस का दावा है कि इसी शख्स ने फर्जी आईडी तैयार कराने, नकली दस्तावेज बनवाने और विभागीय मिलीभगत सुनिश्चित करने की पूरी योजना बनाई। उसकी गिरफ्तारी के बिना पूरे घोटाले की जड़ तक पहुंचना मुश्किल है। पुलिस ने कई जगह दबिश दी है, लेकिन अब तक सफलता हाथ नहीं लगी।
पुलिस और विभागीय सूत्रों के मुताबिक, इस घोटाले से सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। हर फर्जी आईडी के नाम पर हर महीने वेतन निकाला जा रहा था और यह सिलसिला महीनों से जारी था। शिक्षा विभाग की छवि और डिजिटल सिस्टम की सुरक्षा पर भी इस घोटाले ने सवाल खड़े कर दिए हैं।
कोविड अनुदान घोटाला, नासिक में 137 मामलों में डबल भुगतान, वसूली नहीं तो होगी FIR
गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने कई स्कूलों और विभागीय दफ्तरों से दस्तावेज जब्त किए हैं। शालार्थ पोर्टल में फर्जीवाड़े के तकनीकी सबूतों की साइबर और फोरेंसिक जांच की जा रही है। पुलिस ने संकेत दिया है कि घोटाले में शामिल और लोगों की पहचान कर ली गई है और जल्द ही और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
मामले की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमने 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और उनकी पुलिस हिरासत ली है। उनसे पूछताछ कर बाकी साथियों और मुख्य साजिशकर्ता तक पहुंचने की कोशिश जारी है। यह घोटाला सुनियोजित था और हर एंगल से जांच की जा रही है।
शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में इस तरह की धोखाधड़ी ने साफ कर दिया है कि लालच और भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं होती। करोड़ों के वेतन घोटाले ने सरकारी सिस्टम की कमजोरी उजागर कर दी है। पुलिस पर अब यह जिम्मेदारी है कि पूरे रैकेट का पर्दाफाश करे और असली गुनहगारों को सलाखों के पीछे भेजे।