ग्रीष्मकालीन शिविर के उद्घाटन पर संजय खोडके की अपील। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
अमरावती: हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल सिर्फ एक संगठन नहीं बल्कि समाज की ताकत है। विगत सौ वर्षों से शक्ति साधना कर रहा श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल समाज की युवा शक्ति को सकारात्मक दिशा देने का कार्य कर रहा है। मंडल का योगदान, विशेषकर स्वतंत्रता आंदोलन में, सदैव समाज के लिए प्रेरणादायक रहा है। इसलिए, ऐसे प्रतिष्ठित संस्थान में ग्रीष्मकालीन शिविर में खिलाड़ियों की भागीदारी उनके उज्ज्वल भविष्य की नींव को मजबूत करती है। खेल केवल मनोरंजन ही नहीं हैं, वे व्यायाम के साथ उज्ज्वल भविष्य का भी साधन हैं।
हम इस ग्रीष्मकालीन शिविर में भाग लेने वाले उभरते हुए एथलीटों से अपील करते हैं कि वे अपने पसंदीदा खेलों में अपना भविष्य बनाएं, ऐसा आह्वान विधायक संजय खोडके ने व्यक्त किया। मंडल का दूसरा ग्रीष्मकालीन शिविर प्रतिवर्ष की भांति आयोजित किया जा रहा है। शिविर का उद्घाटन हाल ही में समारोह मंडल परिसर में किया गया। समारोह के उद्घाटनकर्ता के रूप में विधायक संजय खोडके उपस्थित थे।
मंडल के सचिव प्रो. रविन्द्र खांडेकर मुख्य अतिथि तथा मंडल के सचिव प्रो. डॉ. माधुरी चेंडके, कोषाध्यक्ष प्राचार्य डॉ. श्रीनिवास देशपांडे, शिविर निदेशक प्रो. राजेश महात्मे, समन्वयक प्रो. महेंद्र लोनकर, सह-समन्वयक अक्षय गोहाड़ और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। ग्रीष्मकालीन शिविर का उद्घाटन गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में दीप प्रज्वलित करके किया गया।
उद्घाटन समारोह को मार्गदर्शन करते हुए डॉ. रविन्द्र खांडेकर ने समर कैम्प के माध्यम से अपने पसंदीदा खेल में उज्ज्वल भविष्य बनाने की अपील की। मंडल की सचिव प्रो. डॉ. माधुरी चेंडके ने नवोदित खिलाड़ियों और उपस्थित लोगों को श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल की ऐतिहासिक, राष्ट्रीय, सामाजिक और खेल के बारे में जानकारी दी। उन्होंने खेलों के माध्यम से समाज को सशक्त बनाने की अपील की।
मंडल के कोषाध्यक्ष प्राचार्य डॉ. श्रीनिवास देशपांडे ने खेलों और इससे मिलने वाले उज्ज्वल अवसरों के बारे में जानकारी दी। उद्घाटन समारोह का उद्घाटन शिविर निदेशक राजेश महात्मे, सह समन्वयक डॉ. महेंद्र लोनकर द्वारा किया गया। संचालन प्रा. आशीष हाटेकर ने डॉ. महेंद्र लोनकर का आभार माना। कार्यक्रम की सफलता के लिए डॉ. केनेडी, डॉ. प्रतिमा हिवसे, प्रो. जयंत इंगोले, प्रो. उडेन, प्रो. नंदकिशोर चव्हाण, प्रो. दाईमाई ने बहुमूल्य सहयोग प्रदान किया।