ऐतिहासिक मैदान अब घूमंतुओं का बना पिकनीक स्पॉट (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Amravati News: देशभर में स्वच्छता और हवा की गुणवत्ता के लिए सराहना प्राप्त करने वाला अमरावती शहर आज अपने ऐतिहासिक नेहरू मैदान की दुर्दशा को लेकर सवालों के घेरे में है। कभी स्वतंत्रता संग्राम के साक्षी रहे इस मैदान को अघोषित रूप से डंपिंग यार्ड में तब्दील कर दिया गया है। मनपा कार्यालय के ठीक सामने स्थित यह मैदान कचरा ठेकेदारों की मनमानी और प्रशासन की उदासीनता का शिकार बन चुका है। नेहरू मैदान वह स्थान है, जहां नेताजी सुभाषचंद्र बोस और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कभी कदम रखे थे।
इसी मैदान में स्थित स्कूल की आधारशिला नेताजी ने रखी थी, लेकिन आज यह इमारत जर्जर हो चुकी है। रात के समय इस क्षेत्र में शराबखोरी और अवैध गतिविधियां देखने को मिल रही हैं। नेहरु मैदान स्थित स्कूल को विगत कई वर्षों से जर्जर होने के कारण इसमें पूरी तरह से ताला जडा जा चुका है। जिसका फायदा उठा कर घूमंतुओं ने अब इसी को अपना आशियाना बना लिया है। घूमंतुओं व्दारा ऐतिहासिक इमारत के चैनल गेट पर कपडे,चादर आदि सुखाए जा रहे हैं। स्कूल के मुख्य प्रवेश व्दार के सामने ही मांस व भोजन पकाकर वहीं झूठन भी फेंका जा रहा है।
स्कूल परिसर में शौच आदि क्रिया की जा रही है। पूरे मैदान में कचरे और घूमंतुओं का कब्जा हो चुका है। जहां तहां घूमंतुओं और उनके सामान पडे दिखाई दे रहे है। ऐसा लगता है जैसा की यहां घूमंतुओं पिकनीक स्पॉट बन चुका हो। शहरवासियों ने मनपा प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि वे तत्काल नेहरू मैदान का स्थल निरीक्षण करें और इस ऐतिहासिक धरोहर का सुशोभीकरण और पुनर्विकास करें। स्वतंत्रता संग्राम की यादों से जुड़ा यह स्थान डंपिंग यार्ड नहीं, प्रेरणा स्थल बनना चाहिए ऐसा नागरिकों का स्पष्ट मत है।
ज्ञात हो कि शहर में जिले व अन्य जिले से खरीदी व जरूरी काम से आने वाले लोगों व्दारा नेहरु मैदान में ही अपने चार पहिया वाहन पार्किंग किए जाते थे। वही तत्कालीन मनपा आयुक्त चंद्रकांत गुडेवार के समय यहां पर भव्य पार्किंग हेतु इमारत का प्रस्ताव डाला गया था। किंतु अब वह प्रस्ताव गायब हो गया है। ऐसा लगता है कि पार्किंग इमारत की बजाय यहां पर डंपिंग यार्ड की स्थापना की जा रही है। वही इस स्थान पर पार्किंग जोन कब बनेगा, ऐसा सवाल भी पुछा जा रहा है।
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मैदान के दोनों प्रवेशद्वारों पर भयंकर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। नागरिकों को नाक पर रुमाल रखकर अंदर जाना पड़ता है। मैदान के आसपास के व्यापारी और स्थानीय लोग भयंकर दुर्गंध और गंदगी से त्रस्त हैं। भले ही नगर आयुक्त सौम्या शर्मा खुद सुबह-सुबह शहर के अलग-अलग हिस्सों का निरीक्षण करती हों, लेकिन सफाई ठेकेदारों पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। हाल ही में न्यायालय द्वारा भी सफाई ठेकों की वैधता पर सवाल उठाए गए हैं। नागरिकों का आरोप है कि इन ठेकेदारों को प्रशासन का अप्रत्यक्ष संरक्षण प्राप्त है।