रेत घाट (सोर्स: सोशल मीडिया)
Akola River Sand Mining News: जल स्रोतों की जैवविविधता पर हो रहे प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए अब नदियों से रेत (बालू) का खनन प्रतिबंधित कर दिया गया है। राज्य पर्यावरण विभाग की राज्य स्तरीय पर्यावरण आघात मूल्यांकन समिति ने तय किए गए घाटों से ही रेत खनन करने की अनुमति दी है।
इसी के तहत अकोला जिले में निर्धारित 38 घाटों में से 15 घाटों के प्रस्ताव समिति को मंजूरी के लिए भेजे गए हैं। समिति की स्वीकृति मिलने के बाद इन घाटों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पिछले कई वर्षों से नदियों से रेती का खनन किया जा रहा है, जिससे भू-आकृति में बदलाव, नदी प्रवाह में परिवर्तन और जलचर प्रजातियों की जैवविविधता पर गंभीर असर पड़ा है।
इन पर्यावरणीय प्रभावों को ध्यान में रखते हुए प्रदूषण नियंत्रण मंडल और पर्यावरण विभाग ने रेती खनन पर कई प्रतिबंध लगाए हैं। अब किसी भी घाट से रेती निकालने से पहले उसका पर्यावरणीय मूल्यांकन अनिवार्य कर दिया गया है। हर वर्ष जून तक यह मूल्यांकन प्रक्रिया पूरी की जाती है।
इस वर्ष अकोला, बार्शीटाकली, मुर्तिजापुर, अकोट, तेल्हारा और बालापुर तहसीलों के घाटों का सर्वे कर 38 घाटों को रेती खनन के लिए उपयुक्त पाया गया।
इन घाटों के पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन कर राज्य स्तरीय समिति से मंजूरी ली जाती है। अब तक जिला खनिकर्म विभाग ने 15 घाटों के प्रस्ताव समिति को भेजे हैं, जिनमें अकोला तहसील के 6, बालापुर के 7 और अकोट के 2 घाट शामिल हैं।
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हालांकि पिछले कुछ समय से घाटों की नीलामी नहीं हुई है, लेकिन जिले में रेती माफिया द्वारा अवैध निलामी की घटनाएं सामने आती रही हैं। ऐसे में प्रशासन को इस पर सख्त नियंत्रण की आवश्यकता है।
पर्यावरण आघात मूल्यांकन समिति की मंजूरी मिलने के बाद इन 15 घाटों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिससे रेती खनन को नियंत्रित और पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित बनाया जा सकेगा।