'नो पीयूसी, नो फ्यूल' नियम हो सकता लागू। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
अकोला: राज्य सरकार वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठा रही है। प्रदूषण को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जबकि आंतरिक दहन इंजन (आईसीई) वाले वाहनों के लिए नए नियम बनाए जा रहे हैं। इस संदर्भ में, सरकार अब प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर सख्त कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है। परिवहन विभाग के नए प्रस्ताव के अनुसार, दोषपूर्ण और वायु प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को अब पेट्रोल पंपों पर ईंधन नहीं दिया जाएगा।
यह निर्णय जल्द ही लागू होने की संभावना है। एक समीक्षा बैठक में परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने इस विषय पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों के कारण वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य जहरीली गैसों की मात्रा बढ़ रही है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
इसलिए, इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रदूषण मुक्त और पर्यावरण हितैषी विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। कई वाहन मालिक गलत तरीके से पीयूसी प्रमाणपत्र बनवा रहे हैं या नकली प्रमाणपत्रों का उपयोग कर रहे हैं। इससे वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है और राज्य का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) गिर रहा है। परिवहन मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार ऐसे वाहनों पर सख्त कार्रवाई करेगी और उन्हें पेट्रोल पंप से ईंधन नहीं दिया जाएगा।
सरकार अब एक विशेष कोडयुक्त प्रदूषण प्रमाणपत्र जारी करने की योजना बना रही है। हर पेट्रोल पंप पर वाहन के प्रमाणपत्र की वैधता त्वरित रूप से जांची जाएगी। इसके साथ ही, यदि किसी वाहन के पास वैध पीयूसी नहीं होगा, तो उसे ईंधन नहीं दिया जाएगा।
आने वाले समय में ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ जैसे कठोर नियम लागू किए जाएंगे, जिससे दोषपूर्ण वाहनों पर रोक लगेगी। इस फैसले से राज्य की वायु गुणवत्ता में सुधार आने की उम्मीद है। सरकार के इस फैसले से वाहन मालिकों को समय पर पीयूसी प्रमाणपत्र अपडेट कराने की जिम्मेदारी सुनिश्चित होगी, जिससे वायु प्रदूषण पर काबू पाया जा सकेगा।