पिंपरी-चिंचवड में ध्वस्त हुए अवैध बंगले (सौजन्य-एक्स)
पुणे: पिंपरी-चिंचवड शहर के चिखली क्षेत्र में इंद्रायणी नदी की नीली बाढ़रेखा में बनाए गए 36 अवैध बंगलों और अन्य निर्माणों को हटाने के लिए निवासियों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई अपील को खारिज कर दिया था। इसके परिणामस्वरूप, हरित लवाज द्वारा दिया गया निर्णय बरकरार रखते हुए, प्रशासन को 31 मई तक नदी के वास्तविक क्षेत्र को फिर से उसकी मूल स्थिति में लाने के लिए इन निर्माणों को तोड़ने का आदेश दिया था।
इस आदेश के तहत पुणे जिले के पिंपरी चिंचवड उपनगर में निकाय अधिकारियों ने इंद्रायणी नदी के किनारे अवैध रूप से बने 36 बंगलों को शनिवार को ढहाना शुरू कर दिया। पिंपरी चिंचवड महानगर पालिका (पीसीएमसी) के अधिकारी और कर्मचारी सुबह चिखली गांव में उस जगह पहुंचे जहां ये बंगले बने हुए थे। महानगर पालिका के आयुक्त शेखर सिंह ने बताया कि निकाय ने बंगलों को ढहाना शुरू कर दिया है, क्योंकि मानसून के दौरान तोड़फोड़ अभियान चलाना मुश्किल हो जाएगा।
उन्होंने कहा जमीन और बंगलों के मालिकों ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा पारित आदेश के खिलाफ फिर से उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, इसने चार मई को उनकी याचिका का निपटारा कर दिया और पीसीएमसी को इन संरचनाओं को ध्वस्त करने के आदेश को लागू करने का निर्देश दिया।
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— Press Trust of India (@PTI_News) May 17, 2025
स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ता तानाजी गंभीरे ने ‘रिवर विला’ परियोजना के खिलाफ एनजीटी का रुख करते हुए कहा था कि बंगलों का निर्माण ‘ब्लू लाइन’ क्षेत्र के भीतर किया गया। ‘ब्लू लाइन’ वह क्षेत्र है जो नदी के किनारे से सटा होता है जहां विकास गतिविधियों की अनुमति नहीं होती। ‘मेसर्स जारे वर्ल्ड’ और ‘मेसर्स वी स्क्वायर’ की यह परियोजना चिखली गांव में है।
एनजीटी ने एक जुलाई, 2024 को पीसीएमसी को इन अवैध संरचनाओं को ध्वस्त करने और बंगला मालिकों तथा अन्य संबंधित पक्षों से पर्यावरणीय क्षति मुआवजे के रूप में पांच करोड़ रुपये वसूलने का आदेश दिया था। महानगर पालिका के आयुक्त ने कहा कि निकाय जल्द ही बंगला मालिकों से पर्यावरण क्षति के मुआवजे के रूप में पांच करोड़ रुपये भी वसूलेगा।
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इसके बाद इन निवासियों ने अतिरिक्त समय मांगते हुए एक पुनः याचिका दायर की थी, लेकिन न्यायालय ने उसे भी खारिज कर दिया है। पालिका प्रशासन ने बताया था कि न्यायालय के आदेश के अनुसार, इंद्रायणी नदी की बाढ़रेखा में स्थित इन निर्माणों पर कार्रवाई की गई थी और निवासियों को दो दिन की मोहलत दी थी।
(एजेंसी इनपुट के साथ)