मध्यप्रदेश के सीहोर में किसानों ने सड़क पर लेटकर जताया विरोध
Madhya Pradesh Sehore Farmers Protest: मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में फसल बीमा की राशि को लेकर किसानों का गुस्सा सड़कों पर उतर आया है। बीमा के नाम पर दी जा रही 100-200 रुपए जैसी मामूली रकम मिलने से न सिर्फ अपमानित महसूस कर रहे बल्कि असंतोष की भावना भी आ रही है। सीहोर किसानों ने बुधवार को एक अनोखा विरोध प्रदर्शन किया। समाजसेवी एम.एस. मेवाड़ा के नेतृत्व में सैंकड़ों किसान अपनी खराब हो चुकी सोयाबीन की फसल हाथों में लेकर सड़क पर लेट गए और जिला प्रशासन व बीमा कंपनियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसानों का यह प्रदर्शन सप्ताह भर से चल रहा है।
किसानों का यह आक्रोश अचानक नहीं फूटा है, बल्कि यह पिछले पांच वर्षों के लगातार फसल खराब होने और उचित मुआवजा न मिलने का नतीजा है। पिछले एक सप्ताह से सीहोर में किसानों का आंदोलन जारी है। बुधवार को यह पीपलनेर गांव के किसानों ने पहले एक लंबी रैली निकाली और फिर सड़क पर लेटकर ट्रैफिक जाम कर दिया। उनका कहना है कि हर साल उनकी मेहनत पानी में बह जाती है, लेकिन जब मुआवजे की बारी आती है तो उन्हें निराशा ही हाथ लगती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
“ये लाशें नहीं हैं, ये सीहोर जिले के अन्नदाता किसान हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की राशि के नाम पर बीमा कंपनियों द्वारा की गई धोखाधड़ी के खिलाफ़, सरकार की नींद तोड़ने के लिए किसान मृत अवस्था का प्रतीक बनकर सड़कों पर लेटा है।”@dharmendrasc @JVSinghINC @jitupatwari @INCMP pic.twitter.com/LwHPqwj7uj
— Heera Tailors Shakywar INCMP (@HeeralalINCMP) August 28, 2025
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता एम.एस. मेवाड़ा ने बताया कि किसान अब इस अपमान को और नहीं सहेंगे। प्रदर्शन के दौरान किसानों ने अपनी खराब फसलें हाथों में लेकर सरकार और प्रशासन को उनकी दुर्दशा दिखाने की कोशिश की। किसानों की बस एक ही मांग है कि उनकी खराब हुई फसलों का ईमानदारी से सर्वे कराया जाए और उन्हें फसल बीमा की पूरी राशि सम्मानपूर्वक दी जाए। इस संबंध में किसानों ने डिप्टी कलेक्टर और एसडीएम को एक ज्ञापन भी सौंपा है, जिसमें उन्होंने अपनी समस्याओं का तत्काल समाधान करने की गुहार लगाई है।
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किसानों का दर्द इस बात से और बढ़ गया है कि कई लोगों के बैंक खातों में बीमा राशि के नाम पर 50, 100 या 250 रुपए जैसी हास्यास्पद रकम जमा की गई है। एक किसान ने कहा, “यह हमारी मेहनत और नुकसान का भद्दा मजाक बनाया जा रहा है। इतनी रकम से तो हमारी लागत भी नहीं निकलती।” किसानों ने सवाल उठाया कि जब देश का पेट भरने वाला अन्नदाता ही संकट में रहेगा, तो देश कैसे आगे बढ़ेगा? उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे।