प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Sand Smuggling Case: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से नागपुर में लगभग 10,000 ब्रास रेत की अवैध रूप से तस्करी एवं जीरो रायल्टी पास के माध्यम से इसे अंजाम दिए जाने का हवाला देते हुए सुरेन्द्र नाईक ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की। याचिकाकर्ता की अधिवक्ता अश्विन इंगोले ने पैरवी की।
इस पर मंगलवार को सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के राजस्व व वन विभाग सचिव, जिलाधिकारी, जिला उत्खनन अधिकारी, छिंदवाड़ा के खनिज उत्खनन अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, सावनेर के एसडीपीओ, केलवद के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक, सावनेर के तहसीलदार, ग्रीवेलिया एंटरप्राइजेस कंपनी, खापा के रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर को नोटिस जारी कर 9 सितंबर तक जवाब दायर करने के आदेश दिए।
याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे अधिवक्ता इंगोले ने कहा कि इस तरह से अवैध परिवहन कर राज्य सरकार को करोड़ों का चूना लगाया गया है। याचिका के अनुसार ग्रीवेलिया एंटरप्राइजेस ने मध्य प्रदेश खनिज निगम से लिए गए ठेके के तहत 10,000 ब्रास रेत की ढुलाई की किंतु इसके लिए महाराष्ट्र सरकार को कोई रॉयल्टी नहीं दी। इससे राज्य की तिजोरी को भारी नुकसान हुआ है।
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याचिका में आरोप लगाया गया कि कि केलवद–कवठा–खापा वन परिक्षेत्र के आरक्षित वन क्षेत्र से भी बड़े पैमाने पर अवैध रेत उत्खनन और परिवहन हो रहा है। इतना ही नहीं, जीरो रायल्टी के लिए नई जगह देने का प्रस्ताव रखा गया है जो आरक्षित वन क्षेत्र में है।
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि नियमों के खिलाफ होने के बावजूद नई जगह देने का प्रयास किया जा रहा है। याचिका में बताया गया कि 15 मई 2025 को नागपुर के मुख्य वन संरक्षक को इस अवैध रेत परिवहन की जानकारी दी गई थी। इसके बावजूद राजस्व विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। दोनों पक्षों की दलीलों के बाद हाई कोर्ट ने उक्त आदेश जारी किए। राज्य सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकील वरिष्ठ अधिवक्ता देवेन चौहान ने पैरवी की।