मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने वक्फ कृषि भूमि की लीज नीलामी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज की
भोपाल: मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। राज्य की कृषि वक्फ भूमि की लीज नीलामी को लेकर दायर याचिका को खारिज करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने वक्फ बोर्ड की प्रक्रिया को पूरी तरह वैध ठहराया है। इस फैसले ने वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा जमाए लोगों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सनवर पटेल ने इसे ऐतिहासिक फैसला बताते हुए कहा कि अब बोर्ड कानूनी रूप से संपत्तियों से आय अर्जित कर सकेगा और यह पैसा गरीबों के कल्याण में खर्च किया जाएगा।
कोर्ट के फैसले के बाद अब वक्फ बोर्ड अपनी कृषि भूमि को किसानों को पारदर्शिता के साथ लीज पर देने की तैयारी में है। भारत सरकार की पट्टा नीति के अनुसार किसानों को खेती के लिए यह जमीन उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे आय का स्रोत खुलेगा और वक्फ का मूल उद्देश्य यानी समाज के जरूरतमंद वर्ग के कल्याण में धन का उपयोग संभव हो सकेगा। वक्फ बोर्ड अब माफिया कब्जे से जमीनें मुक्त कर आमजन के हित में उनका उपयोग कर सकेगा।
कोर्ट से मिला भरोसा, वैध घोषित हुई नीलामी प्रक्रिया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने वक्फ भूमि की नीलामी को लेकर दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया। याचिका में दो मुख्य आपत्तियां उठाई गई थीं। पहली, आदेश पर हस्ताक्षर करने वाली अधिकारी पूर्णकालिक सीईओ नहीं थीं, और दूसरी, नीलामी का अधिकार सिर्फ मुतवल्ली को है। कोर्ट ने दोनों तर्कों को नकारते हुए कहा कि डॉ. फरजाना गजाल की नियुक्ति वक्फ अधिनियम के तहत सही है और नीलामी प्रक्रिया में कोई कानूनी खामी नहीं है।
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बोर्ड का दावा अब खत्म होगा कब्जा, बढ़ेगी आय
फैसले के बाद वक्फ बोर्ड अध्यक्ष सनवर पटेल ने कहा कि यह निर्णय न केवल वैधानिक प्रक्रिया की पुष्टि करता है, बल्कि लंबे समय से वक्फ संपत्तियों पर अवैध रूप से कब्जा जमाए बैठे लोगों को सीधा संदेश भी देता है। उन्होंने कहा कि अब मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जहां कोर्ट ने वक्फ नीतियों को वैधता दी है। इससे न केवल संपत्तियों का संरक्षण होगा बल्कि वक्फ की कमाई भी बढ़ेगी, जो जनहित में खर्च होगी।