
दिग्विजय सिंह (डिजाइन फोटो)
Digvijay Singh News: कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक शुरू होने से ठीक कुछ घंटे पहले दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पुरानी तस्वीर पोस्ट की। इस पोस्ट में पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के पैरों के पास बैठे दिखाई दे रहे हैं। कैप्शन में दिग्विजय सिंह ने लिखा, ‘RSS का जमीनी स्वयंसेवक और BJP का जमीनी कार्यकर्ता नेताओं की चरणों पर बैठकर CM और PM बना…यह संघटन की शक्ति है।’
बैठक खत्म होने के बाद दिग्विजय सिंह से जब मीडिया ने इस पोस्ट के बारे में सवाल पूछा, तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि वह आरएसएस ओर मोदी के घोर विरोधी हैं। महज एक घंटे के अंदर दिग्विजय सिंह के सुर बदल गए। जिसने सियासी फिजाओं में चर्चाओं की नई बयार बहा दी है।
एक तरफ पहले से पार्टी को बागी तेवर दिखा रहे शशि थरूर के सुर कुछ नरम हुए, तो दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह ने वही रुख अपना लिया है। क्योंकि यह पोस्ट महज एक पुरानी फोटो शेयर करना नहीं है, बल्कि कांग्रेस को एक नया संदेश देने जैसा है। लेकिन फिर उन्होंने पलटी क्यों मारी? यह भी सवाल है…तो चलिए जवाब तलाशते हैं?
दिग्विजय सिंह की एक्स पोस्ट (सोर्स- एक्स @digvijaya_28)
दरअसल, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सीनियर नेता दिग्विजय सिंह का दूसरा राज्यसभा कार्यकाल जनवरी 2026 में खत्म हो रहा है। उनके तीसरे कार्यकाल को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, क्योंकि कमलनाथ और मीनाक्षी नटराजन जैसे बड़े दावेदार भी दौड़ में हैं। पार्टी की नई लीडरशिप- खासकर जीतू पटवारी और उमंग सिंघार को लंबे समय से “दिग्विजय विरोधी” माना जाता है।
इसके अलावा 2 साल पहले जीतू पटवारी को मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान सौंपी गई है, जबकि दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को राज्य संगठन में जिला स्तर का पद दिया गया है। यही वजह है कि दिग्विजय सिंह का अचानक ‘बागी’ तेवर दिखाना सिर्फ एक इत्तेफाक नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत है।
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दिग्विजय सिंह की पोस्ट ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। RSS-BJP मॉडल में जमीनी स्तर के कार्यकर्ता, अनुशासन और संगठनात्मक पदानुक्रम को सबसे बड़ी ताकत माना जाता है। “संगठन की शक्ति” के बारे में दिग्विजय के बयान को कांग्रेस पार्टी के भीतर कैडर-आधारित ढांचे की कमी की सीधी आलोचना के रूप में देखा जा रहा है।
दिग्विजय सिंह ने पहले ही CWC में शिकायत की थी कि प्रदेश अध्यक्ष तो नियुक्त किए जाते हैं, लेकिन कमेटियां नहीं बनाई जातीं। उन्होंने कहा था कि सत्ता का विकेंद्रीकरण नहीं है। इसलिए यह ट्वीट लीडरशिप को “एक मजबूत संगठन बनाने” की याद दिलाने जैसा लगता है। दिग्विजय ने पहले भी राहुल गांधी को भी संगठन को मजबूत करने पर ध्यान देने की सलाह दी थी।
वहीं, बात करें अगर दिग्विजय सिंह के CWC मीटिंग के बाद अपने एक्स पोस्ट पर सफाई देने और यह कहने की कि वे मोदी और आरएसएस के घोर विरोधी हैं। जिसके पीछे कहा यह जा रहा है कि बैठक में उन्हें कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने आश्वासन दिया होगा कि जो भी असहमति है उस पर अलग से चर्चा की जा सकती है।






