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सीमा कुमारी
आस्था का महापर्व ‘छठ’ पूजा हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस साल ‘चैती छठ'(Chaiti Chhath Puja) पर्व 05 अप्रैल, मंगलवार को नहाय- खाय के साथ शुरू होगा, जो कि 08 अप्रैल, शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा।
आस्था का महापर्व छठ साल में दो बार मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, एक चैत्र महीना और दूसरा कार्तिक महीना में। हालांकि कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाएं जाने वाला छठ पर्व को मुख्य माना जाता है। चैती छठ पूजा को बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के साथ देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है।
मान्यताओं के अनुसार, संतान की कामना करने वाली महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत ही उत्तम एवं शुभ माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठी मैय्या को भगवान सूर्य की बहन कहा जाता है। मान्यता है कि, छठ महापर्व में छठी मैय्या व भगवान सूर्य की पूजा करने से ‘छठी मैय्या’ प्रसन्न होती हैं। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से घर में सुख-शांति व खुशहाली आती है। आइए जानें चैती छठ पूजा की प्रमुख तिथियां शुभ मुहूर्त-
05 अप्रैल 2022, मंगलवार – नहाय-खाय
06 अप्रैल 2022, बुधवार – खरना
07 अप्रैल 2022, गुरुवार – डूबते सूर्य का अर्घ्य
08 अप्रैल 2022, शुक्रवार – उगते सूर्य का अर्घ्य
सूर्यास्त का समय (संध्या अर्घ्य): – 07 अप्रैल, 05:30 शाम
सूर्योदय का समय (उषा अर्घ्य) – 08 अप्रैल, 06:40 सुबह
प्रसाद रखने के लिए बांस की दो तीन बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने तीन सूप, लोटा, थाली, दूध और जल के लिए ग्लास, नए वस्त्र साड़ी-कुर्ता पजामा, चावल, लाल सिंदूर, धूप और बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, गन्ना जिसमें पत्ता लगा हो, सुथनी और शकरकंदी, हल्दी और अदरक का पौधा हरा हो तो अच्छा, नाशपाती और बड़ा वाला मीठा नींबू, जिसे टाब भी कहते हैं, शहद की डिब्बी, पान और साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन, मिठाई।
यह बात सभी को मालूम है कि सूरज की किरणों से शरीर को विटामिन डी मिलता है। सदियों से सूर्य नमस्कार को बहुत लाभकारी बताया गया है। प्रिज्म के सिद्धांत के मुताबिक सुबह सूर्य की रोशनी से मिलने वाले विटामिन डी से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और स्किन से जुड़ी सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं।