हर्षवर्धन सपकाल-अशोक उइके-अजित पवार-विजय वडेट्टीवार (सौजन्य-सोशल मीडिया)
नागपुर: महाराष्ट्र में हिंदी भाषा के खिलाफ उठे विद्रोह में एक-एक कर सभी पार्टियां शामिल हो रही है। हिंदी के विरोध में विपक्ष का साथ आना जायज है, लेकिन यहां तो खुद भाजपा के नेता और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी हमला बोल दिया है। इन हमलों के बाद आशंका जताई जा रही है कि ठाकरे बंधुओं के आंदोलन में सत्तारूढ़ पार्टी के नेता भी दिखाई दे सकते है।
महाविकास अघाड़ी ने भी इस आंदोलन को अपना पूरा समर्थन दे दिया है। इस दौरान भले ही इस मोर्चे में कांग्रेस ने प्रत्यक्ष रूप से मोर्चे में शामिल होने की अधिकारिक घोषणा नहीं कि है, लेकिन इस मोर्चे का स्वागत और समर्थन जरूर किया है। वहीं शरद पवार की पार्टी से शरद पवार ने प्रत्यक्ष रूप से शामिल होने की बात नहीं कही है, लेकिन अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से इस मोर्चे में शामिल होने का आग्रह किया है। इस हिंदी विरोधी आंदोलन में महायुति के खिलाफ बगावत के सुर कैसे बढ़ रहे है, ये देखना दिलचस्प है।
यूबीटी और मनसे की संयुक्त रैली में कांग्रेस के शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल कहते हैं, “जिस मुद्दे को लेकर यह रैली आयोजित की जा रही है, हम भी उसके खिलाफ हैं। सरकार के फैसले को वापस लिया जाना चाहिए। कई लेखक और कार्यकर्ता अपने-अपने तरीके से विरोध कर रहे हैं। हमने इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाई है, जीआर जलाया था, सभी को पत्र लिखे हैं और अभियान चला रहे हैं। दूसरे लोग भी अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। यह सामूहिक रूप से किया जाना चाहिए। मोर्चा एक प्रयास है, एक पहल है।”
महाराष्ट्र विधानसभा कांग्रेस गुट नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा, “हमने पहले ही कह दिया है कि महाराष्ट्र में हिंदी को अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए। यदि दोनों भाई साथ आकर इस मुद्दे पर बिना किसी बैनर के मराठी के लिए मोर्चा निकालते हैं और हमें उनका निमंत्रण मिलता है, तो हम इस पर विचार करेंगे।”
एनसीपी-एसपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, “यह ठीक है कि देश का एक बड़ा वर्ग हिंदी बोलता है, लेकिन हमें यह भी सोचना होगा कि एक निश्चित उम्र में बच्चा कितनी भाषा सीख सकता है? अगर इससे मातृभाषा की उपेक्षा होती है, तो यह उचित नहीं होगा। इसलिए सरकार को पांचवीं कक्षा से पहले हिंदी को अनिवार्य बनाने की जिद छोड़ देनी चाहिए।”
हिंदी मोर्चे में ठाकरे संग पवार, MVA एकजुट, महायुति में बढ़ा कन्फ्यूजन
इस मामले में डीसीएम अजित पवार भी बीजेपी और सरकार की भूमिका से असहमत है। उन्होंने पहले ही यह कह दिया है कि बच्चों को कक्षा 5 तक अपनी मातृभाषा में ही पढ़ाई करना चाहिए। उन्हें किसी अन्य भाषा में नहीं पढ़ना चाहिए। मुझे किसी भी भाषा से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन छोटी उम्र में बच्चों पर भाषाओं का बोझ डालना सही नहीं है।
पुणे जिला कलेक्ट्रेट में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी नेता व आदिवासी मंत्री अशोक उइके ने यह कहते हुए विरोध प्रदर्शित किया कि मैं आदिवासी परिवार में पैदा हुआ हूं। मेरी मां अनपढ़ थीं, लेकिन उन्होंने मुझे मराठी संस्कृति सिखाई। मैं वही भाषा जानता हूं। मुझे हिंदी नहीं जानना। इसलिए मैं हिंदी मीडिया से भी सिर्फ मराठी में ही बात करूंगा।