मीरवाइज उमर फारूक (सोर्स: सोशल मीडिया)
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीसरे एवं अंतिम चरण के तहत मंगलवार को मतदान हुआ। चुनाव के इस चरण में जम्मू-कश्मीर के सात जिलों में 40 विधानसभा सीटों पर सुबह सात बजे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतदान शुरू हुआ। मतदान केंद्रों के बाहर लंबी कतारें दिखीं। दूसरी तरफ हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता ने चुनाव को जम्मू कश्मीर के मुद्दे का हल नहीं बताया। लोकतंत्र के पर्व पर एक फिर हुर्रियत कांफ्रेंस ने सवाल उठाए हैं।
शुक्रवार को हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने से कश्मीर मुद्दा हल नहीं होने वाला है। फारूक ने जम्मू कश्मीर के मुद्दे के समाधान के लिए जनसंपर्क और बातचीत के शांतिपूर्ण तरीके अपनाने की बात कही। धार्मिक और अलगाववादी नेता उमर फारूक ने केंद्र सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि दावा किया कि उन्हें घर में नजरबंद किया गया है और उनकी आवाजाही पर भी रोक लगा दी गई है।
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हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष उमर फारूक को एक महीने से अधिक समय के बाद शहर के नौहट्टा इलाके में जामिया मस्जिद में शुक्रवार की सामूहिक नमाज अदा करने की इजाजत दी गई। उन्होंने कहा कि चुनाव और ‘कश्मीर मुद्दे का समाधान’ दो अलग-अलग चीजें हैं।
हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष ने कहा कि “हमारा मानना है कि शासन के लिए नागरिक चुनाव इस मामले (कश्मीर मुद्दे) को हल करने का साधन नहीं हैं और ये संघर्ष के बारे में लोगों की आकांक्षाओं और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।”
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मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि यह “दुर्भाग्यपूर्ण” है कि इस महत्वपूर्ण मोड़ पर, क्षेत्रीय राजनीतिक संगठन और व्यक्ति संयुक्त रूप से क्षेत्र के लोगों के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों से नहीं लड़ सके। उन्होंने आशा व्यक्त की कि चुनाव परिणामों के बाद राजनीतिक दल और लोग सामूहिक रूप से व्यक्तिगत और दलीय हितों के बजाय जनता के हितों को प्राथमिकता देंगे और उनके अधिकारों की रक्षा करेंगे।