कुश्ती संघ के अध्यक्ष ने पहलवानों पर लगाए आरोप (सोर्स:-सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब एक महीने से भी कम का समय शेष रह गया है और चुनावी गर्माहट अपने चरम पर है। इस गर्माहट में तेज तब आ गई जब कल यानी शुक्रवार को पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। पहलवान विनेश-बजरंग के इस निर्णय पर भारतीय कुश्ति संघ के अध्यक्ष संजय सिंह का गुस्सा फूटा है।
गुस्सा के कारण को ऐसे समझिए कि शुक्रवार को कांग्रेस ने अपनी पहली सूची जारी की और महिला पहलवान विनेश फोगाट को जुलाना विधानसभा सीट से टिकट देने की घोषणा की। कांग्रेस की इस घोषणा के बाद बयानबाजी तेज हो गई है। जिसको लेकर अब भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष संजय सिंह ने पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया पर देशद्रोह का मुकदमा करने की मांग की है।
कांग्रेस में शामिल होने वाले पहलवान विनेश फोगाट-बजरंग पुनिया को लेकर भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष संजय सिंह ने अपना आक्रोश दिखाते हुए दोनों पहलवान के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलानी की मांग की। संजय सिंह ने कहा कि इस पूरे आंदोलन की पटकथा कांग्रेस कार्यालय में ही लिखी गई थी।
ये भी पढ़ें:-बृजभूषण शरण सिंह के बयान पर कांग्रेस का पलटवार, बोले-गलती करने वालों के साथ BJP का हाथ
कुश्ती अध्यक्ष ने कहा कि जंतर-मंतर पर पहलवानों के द्वारा किया गया आंदोलन कांग्रेस की साजिश थी। कांग्रेस ने इसकी शुरुआत इसलिए की क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बयान जारी किया था कि भारतीय कुश्ती सुरक्षित हाथों में है।
संजय सिंह ने कहा कि कुश्ती की बढ़ती लोकप्रियता को कांग्रेस पचा नहीं पाई। इसलिए कांग्रेस ने एक सुनियोजित साजिश रची, जिसमें सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि दीपेंद्र हुड्डा और भूपेंद्र हुड्डा ने बेटियों का इस्तेमाल किया। बेटियों का इस्तेमाल करके एक आंदोलन को गति दी गई और आंदोलन को खड़ा किया गया।
संजय सिंह ने ओलंपिक में भारतीय कुश्ती को मिले पदकों के नुकसान के लिए सीधे तौर पर विनेश फोगाट को जिम्मेदार ठहराते हुए भारत सरकार से मांग की कि पूरे आंदोलन की जांच होनी चाहिए और इन 3 लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा भी चलना चाहिए। क्योंकि कुश्ती में 5 से 6 पदक आने वाले थे।
ये भी पढ़ें:-मणिपुर में फिर भड़की हिंसा की आग, जिरीबाम जिले में पांच लोगों की मौत
इसके सात ही भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष संजय सिंह ने कहा कि पदक किसी एक व्यक्ति का नहीं बल्कि पूरे देश का है और ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि वह पदक की हकदार नहीं थी। क्योंकि वह दूसरी लड़कियों का हक छीनकर ओलंपिक में गई थी।