विपक्षी उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी के लिए NDA दलों से मांगा समर्थन
Vice President Election: देश की राजनीति में इस समय उपराष्ट्रपति चुनाव और उसके लिए पक्ष-विपक्ष के उम्मीदवारों को लेकर चर्चा है। विपक्षी इंडी गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। अब इस पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह ऐलान किया और एनडीए सहयोगी दलों टीडीपी, बीआरएस और वाईएसआरसीपी से समर्थन की अपील की है। उन्होंने दावा किया कि अगर सुदर्शन रेड्डी जीतते हैं तो इससे ओबीसी वर्ग को बड़ा लाभ होगा और आरक्षण का भविष्य सुरक्षित रहेगा।
रेवंत रेड्डी ने याद दिलाया कि तेलंगाना सरकार ने जाति सर्वेक्षण के आधार पर ओबीसी वर्ग को 42 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव तैयार किया था। इसकी अध्यक्षता जस्टिस सुदर्शन रेड्डी की समिति ने की थी। यह विधेयक विधानसभा से पारित भी हुआ लेकिन राष्ट्रपति के पास लंबित है। सीएम का आरोप है कि एनडीए संविधान में बदलाव कर आरक्षण खत्म करने की कोशिश कर रहा है। उनका कहना है कि अगर एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन जीतते हैं तो ओबीसी को न्याय नहीं मिलेगा, जबकि सुदर्शन रेड्डी की जीत से यह आरक्षण संभव हो पाएगा।
रेवंत रेड्डी ने कहा कि यह चुनाव केवल उपराष्ट्रपति पद का नहीं बल्कि ओबीसी वर्ग और आरक्षण की रक्षा की लड़ाई है। उन्होंने टीडीपी, जनसेना, वाईएसआरसीपी, बीआरएस और एआईएमआईएम समेत सभी तेलुगु दलों से अपील की कि वे एकजुट होकर जस्टिस सुदर्शन रेड्डी का समर्थन करें। उन्होंने कहा कि पीवी नरसिम्हा राव के बाद से तेलंगाना को यह अवसर नहीं मिला है कि कोई बड़ा संवैधानिक पद तेलुगु समाज को मिले।
इस बीच आम आदमी पार्टी ने भी विपक्ष के उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान किया है। पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि यह लड़ाई संविधान बनाम आरएसएस की है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा का उम्मीदवार आरएसएस से आता है जबकि जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और संविधान विशेषज्ञ रहे हैं। आप नेता ने उम्मीद जताई कि आंध्र प्रदेश की पार्टियां भी विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन करेंगी।
यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र-कर्नाटक के बाद MP में भी हुई लाखों की ‘वोट चोरी’, EC ने 27 सीटों पर अचानक से बदली…
उपराष्ट्रपति चुनाव में अब मुकाबला काफी दिलचस्प हो चुका है। एक तरफ एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन हैं तो दूसरी तरफ विपक्ष ने संवैधानिक विशेषज्ञ और पूर्व न्यायाधीश को खड़ा कर दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि दक्षिण भारत की क्षेत्रीय पार्टियां किस तरफ झुकाव दिखाती हैं और इसका चुनावी परिणाम पर क्या असर पड़ता है।