
उन्नाव रेप केस की पीड़िता (Image- Social Media)
Unnao Rape Case: सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप केस में कुलदीप सिंह सेंगर को मिली जमानत पर रोक लगा दी है, और इस फैसले पर पीड़िता की मां ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बहुत खुश हैं। केवल दो जजों ने मेरे साथ गलत किया था। आज सुप्रीम कोर्ट ने मेरे साथ बहुत अच्छा किया। एक अपना पति खो बैठी हूं, उसके बच्चों को न्याय मिलना चाहिए।”
पीड़िता की मां ने अपने पति के हत्यारों के लिए भी कड़ी सजा की मांग करते हुए कहा कि उन्हें फांसी की सजा मिलनी चाहिए। यह बयान सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आया, जिसने सेंगर की जमानत को निलंबित कर दिया, जो पीड़िता के परिवार के लिए एक बड़ी राहत है।
#WATCH | Supreme Court stays the order of Delhi HC, which suspended the life sentence of expelled BJP leader Kuldeep Singh Sengar in the 2017 Unnao rape case of a minor girl. Mother of the victim says, “We are very happy. We want to thank the Supreme Court. My daughter should… pic.twitter.com/B6GDjkrP4C — ANI (@ANI) December 29, 2025
सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह मामला बहुत ही गंभीर था, जिसमें एक नाबालिग लड़की के साथ भयानक रेप हुआ था, और उच्च न्यायालय ने आईपीसी के सेक्शन 376 और पॉक्सो के सेक्शन 5 पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया। इस पर जस्टिस जेके महेश्वरी ने जवाब देते हुए कहा कि सेक्शन 376 पर पहले ही विचार किया जा चुका है।
एसजी तुषार मेहता ने आगे कहा कि उच्च न्यायालय ने कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर गौर नहीं किया, खासकर यह कि यह मामला एक नाबालिग पीड़िता से संबंधित है। उन्होंने यह भी बताया कि सेंगर को दो मामलों में दोषी करार दिया गया है, और घटना के वक्त पीड़िता की उम्र 16 साल से कम थी। वह 15 साल 10 महीने की थी। यह दोषसिद्धि अभी अपील पर लंबित है। एसजी मेहता ने कहा कि दोषी करार देने की वजह स्पष्ट थी, क्योंकि यह रेप एक पब्लिक सर्वेंट ने किया था, और सीबीआई ने तथ्यों और सबूतों के साथ इसे साबित किया।
यह भी पढ़ें- अरावली पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछे 5 सवाल, अपने ही फैसले पर लगाई रोक, सरकार को भेजा नोटिस
बता दें कि ये मामला 2017 का है, जब उत्तर प्रदेश के तत्कालीन विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर उन्नाव जिले की एक नाबालिग लड़की ने बलात्कार का आरोप लगाया था। 2019 में दिल्ली के ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को दोषी ठहराया और उसे उम्रभर की सजा सुनाई थी। इसके अलावा, पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत और गवाहों को प्रभावित करने के मामलों में भी सेंगर को दोषी ठहराया गया था।






